आईएमए से पास आउट होकर देश को आज 456 युवा अधिकारी मिल गए हैं।.
आईएमए से पास आउट होकर देश
इसके साथ ही 35 मित्र राष्ट्रों के अफसर भी पास आउट हुए। ऐतिहासिक चेटवुड बिल्डिंग के ड्रिल स्क्वायर पर हुई परेड की सलामी नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल ली।
इसके साथ ही भारतीय सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 66 हजार 119 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया। इनमें मित्र देशों को मिले 2988 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। पीओपी के मद्देनजर अकादमी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई थी। चप्पे-चप्पे पर सेना के सशस्त्र जवान तैनात थे
सुरक्षा का जिम्मा दून पुलिस के पास अकादमी परिसर के बाहरी क्षेत्र में सुरक्षा का जिम्मा दून पुलिस के पास है। परेड के दौरान सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक पंडितवाड़ी से लेकर प्रेमनगर तक जीरो जोन रहा।
मुख्य परेड के बाद जनरल सिग्देल परेड के कलर पार्टी और केन ऑर्डलीज को पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके साथ ही, उन्होंने रिव्यूइंग ऑफिसर प्लेट और तलवार भी प्रदान किए। इसके बाद, नेपाली सेना के दो जेंटलमैन कैडेट्स समेत नए कमीशंड अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे।
एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में दिए जांबाज अधिकारी
आइएमए में अब एक साल का प्रशिक्षण लेकर ये कैडेट बतौर अधिकारी सेना में शामिल हुए। उपाधि पाने वालों में 19 कैडेट विज्ञान और 25 कैडेट कला वर्ग के हैं। कमांडेंट ले. जनरल संदीप जैन ने अफसर बने इन कैडेट को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
कमांडेंट ले. जनरल संदीप जैन ने कहा कि एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में जांबाज अधिकारी दिए हैं। उन्होंने कहा कि उपाधि पाने वाले कैडेट की जिंदगी का यह एक अहम पड़ाव है। देश की आन, बान और शान बनाए रखने की जिम्मेदारी अब उनके हाथों में है। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखें।
भारतीय सैन्य अकादमी (IMA): देश की रक्षा के लिए तैयार करते हुए
भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy), जिसे संक्षेप में आईएमए कहा जाता है, भारतीय सेना के लिए अधिकारी तैयार करने वाला एक प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान है। यह संस्थान देशभक्ति, अनुशासन और नेतृत्व के गुणों को विकसित करने के लिए जाना जाता है। देहरादून, उत्तराखंड में स्थित यह अकादमी 1932 में स्थापित हुई थी और तब से यह भारतीय सेना के कई वीर और सक्षम अधिकारी तैयार कर चुकी है। भारतीय सैन्य अकादमी भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। यह न केवल सेना के लिए अधिकारी तैयार करता है बल्कि युवाओं को आत्म-विश्वास, साहस और नेतृत्व कौशल सिखाता है। आईएमए की परंपराएं और उपलब्धियां भारतीय सेना को और मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
भारत के हर नागरिक को इस संस्थान पर गर्व होना चाहिए, जो देश के भविष्य के रक्षकों को तैयार करता है।
इतिहास और स्थापना
आईएमए की स्थापना 10 दिसंबर 1932 को की गई थी। इसकी नींव फील्ड मार्शल फिलिप चेटवुड ने रखी थी। शुरुआती बैच में 40 कैडेट्स ने प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिन्हें “पायनियर्स” के नाम से जाना जाता है। चेटवुड भवन, जो अकादमी का मुख्य भवन है, भारतीय सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चेटवुड का प्रसिद्ध कथन, “The safety, honour, and welfare of your country come first, always and every time.” हर कैडेट के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रशिक्षण और जीवनशैली
आईएमए में प्रशिक्षण कठोर और जीवनशैली अत्यंत अनुशासित होती है। यहां कैडेट्स को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से तैयार किया जाता है। प्रशिक्षण में सैन्य रणनीति, हथियारों का उपयोग, युद्ध कौशल, नेतृत्व विकास, और शारीरिक फिटनेस जैसे विषय शामिल हैं।
कैडेट्स को उनके चार साल के प्रशिक्षण के दौरान हर चुनौती का सामना करना सिखाया जाता है, जिससे वे मजबूत, आत्मनिर्भर और कुशल सैन्य अधिकारी बन सकें। उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है ताकि वे युद्ध के मैदान में किसी भी परिस्थिति में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।
परंपराएं और गौरव
आईएमए की परंपराएं और रीति-रिवाज इसे विशेष बनाते हैं। हर पासिंग आउट परेड (POP) एक भव्य आयोजन होता है, जिसमें कैडेट्स अपनी मेहनत और लगन का प्रदर्शन करते हैं। इस परेड के दौरान “एंट्री ऑफ द चेटवुड” एक महत्वपूर्ण समारोह होता है, जहां कैडेट्स अपने प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करके अधिकारी बनते हैं।
प्रसिद्ध पूर्व छात्र
आईएमए ने कई ऐसे अधिकारी दिए हैं जिन्होंने युद्धक्षेत्र में साहस और वीरता का परिचय दिया। इनमें लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्ष सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र), और कैप्टन मनोज कुमार पांडे (परमवीर चक्र) जैसे महान नाम शामिल हैं।
आईएमए का महत्व
भारतीय सैन्य अकादमी न केवल भारतीय सेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। यह संस्थान हमारे देश के युवाओं को न केवल एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी बनने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार और अनुशासित नागरिक बनने की भी शिक्षा देता है।
आईएमए से पास होने वाले हर कैडेट में सिर्फ एक उद्देश्य होता है—देश की सेवा और रक्षा। यह संस्थान भारतीय सेना की रीढ़ है और इसे दुनिया के बेहतरीन सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों में से एक माना जाता है।
भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) ने भारतीय सेना को कई वीर और प्रतिष्ठित अधिकारी दिए हैं। ये अधिकारी अपने साहस, नेतृत्व और बलिदान के लिए प्रसिद्ध हैं। नीचे ऐसे कुछ उल्लेखनीय अधिकारियों के नाम दिए गए हैं जो IMA से पास होकर देश की सेवा में अमर हो गए:
1. कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र)
उपाधि: “शेरशाह”
कैप्टन विक्रम बत्रा 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी अदम्य वीरता और नेतृत्व के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किए गए। उन्होंने भारतीय सैन्य इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी कहावत “ये दिल मांगे मोर” आज भी युवाओं को प्रेरित करती है।
2. कैप्टन मनोज कुमार पांडे (परमवीर चक्र)
कैप्टन मनोज पांडे ने भी कारगिल युद्ध में बहादुरी दिखाते हुए अपनी बटालियन का नेतृत्व किया। उन्होंने दुश्मनों के ठिकानों पर हमला करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।
3. लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्ष सिंह
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। उनके कुशल नेतृत्व ने भारत को युद्ध में बड़ी जीत दिलाई।
4. जनरल बिक्रम सिंह
भारतीय सेना के 25वें प्रमुख (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) के रूप में कार्य किया। जनरल बिक्रम सिंह अपनी सेवा और नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
5. लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल (परमवीर चक्र)
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनकी वीरता और आत्म-बलिदान ने इतिहास में उन्हें अमर बना दिया। 21 साल की उम्र में उन्होंने दुश्मन के टैंकों को नष्ट करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
6. कैप्टन नवाबजादा शरीफउद्दीन (प्रथम बैच के पासआउट)
IMA के पहले बैच “पायनियर्स” से पास हुए। उन्होंने भारतीय सेना में अपने साहस और कुशलता के लिए पहचान बनाई।
7. ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान (महावीर चक्र)
ब्रिगेडियर उस्मान को 1947-48 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनकी वीरता के लिए जाना जाता है। उन्हें “नौशेरा का शेर” कहा जाता है।
8. मेजर सोमनाथ शर्मा (परमवीर चक्र)
भारतीय सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता। उन्होंने 1947 के कश्मीर युद्ध में अपनी बटालियन के साथ दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर किया।
9. मेजर जनरल इयान कार्डोजो
अपने साहसिक निर्णयों और नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध, खासकर 1971 के युद्ध के दौरान। उन्होंने विकलांगता को अपने रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया और प्रेरणा का स्रोत बने।
10. मेजर रणवीर सिंह जम्वाल
IMA के गर्वित अधिकारी, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर तीन बार चढ़ाई की। वे युवाओं को प्रेरित करने वाले एक प्रतीक हैं।
अन्य प्रमुख अधिकारी:
जनरल सुनीथ फ्रांसिस रोड्रिग्स: भारतीय सेना के प्रमुख और राज्यसभा के सदस्य रहे।
लेफ्टिनेंट जनरल ज़ोरावर चंद बख्शी: भारतीय सेना के इतिहास में सबसे अधिक वीरता पदक विजेताओं में से एक।
मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल (शौर्य चक्र): 2019 के पुलवामा एनकाउंटर में बहादुरी के साथ बलिदान दिया।
डॉ हरीश चन्द्र अन्डोला (लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)