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Recent Cyber Attack in Uttarakhand Cyber Infrastructure Halts Important Tasks

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उत्तराखंड की कैसे लड़ते साइबर जंग

साइबर हमले से जूझ रही सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) केवल तीन अधिकारियों के भरोसे चल रहा है। इनमें से भी दो अधिकारी तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हैं। पिछले साल पुनर्गठन के बाद 45 पद सृजित जरूर हुए थे, लेकिन भर्ती में कोई आने को तैयार नहीं।आलम ये है कि वर्तमान में आईटीडीए में केवल तीन अधिकारी ही तैनात हैं। इनमें एक आईटीडीए निदेशक हैं, जो आईएएस अफसर हैं। दूसरे वित्त नियंत्रक हैं, जो वित्त की जिम्मेदारी संभालते हैं। तीसरे एक अधिकारी हैं जो बतौर एक्सपर्ट रखे गए हैं। उन्हें भी केवल अपने विभाग की जानकारी है।साइबर अटैक हुआ तो तमाम केंद्रीय एजेंसियां आईटीडीए पहुंच गईं, लेकिन यहां स्टाफ न होने से उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी पेश आई।

बताया जा रहा कि जो काम 24 घंटे के भीतर हो सकता था, वह विशेषज्ञों की किल्लत की वजह से तीन दिन में हो पाया। लिहाजा, अब आईटीडीए के ढांचे में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।सचिव आईटी ने बताया, आईटी की जरूरतों के हिसाब से प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के समक्ष लाया जाएगा। बताया, इस साइबर हमले के बाद सुरक्षा के नजरिए से भी जो जरूरतें महसूस हुई हैं, वह नए ढांचे में शामिल की जाएंगी।सूत्रों के मुताबिक, दो साल पहले आईटीआई लिमिटेड बंगलुरू को ये जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन वह अब तक डाटा का बैकअप नहीं ले पाई। नतीजतन साइबर हमले में डिजास्टर रिकवरी भी नहीं हो पाई। अब आईटी विभाग ने केंद्र को डिजास्टर रिकवरी के लिए पत्र भेजा है। केंद्र सरकार की 18 सूचीबद्ध एजेंसियों में से ही किसी को ये जिम्मेदारी मिलेगी। उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से ठप पड़ी ई-ऑफिस व्यवस्था अब सुचारू होने लगी है.

करोड़ों रुपए खर्च कर राज्य में तैयार किया गया आईटी सिस्टम फिर पटरी पर उतरने लगा है. हालांकि, ऐसा राज्य का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग एक या दो दिन नहीं बल्कि करीब चार दिनों बाद कर पाया है. विभाग के अधिकारी अब प्रमुख विभागों की वेबसाइट शुरू करने का दावा कर रहे हैं लेकिन हैरत की बात यह है कि कई दिनों तक आईटी एक्सपर्ट की टीम के पसीना बहाने के बाद ऐसा हो पाया है.उत्तराखंड में पिछले चार दिनों से कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ा है. प्रधानमंत्री देश में इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी को सबसे आगे रखकर दुनिया से मुकाबला करने की बात कह रहे हैं, मगर उत्तराखंड कई दिनों तक केवल एक वायरस के कारण शून्य बना हुआ है. यानी राज्य में पिछले चार दिनों से ई-ऑफिस के नाम पर कोई काम नहीं हो पाया. ऑनलाइन फाइलें अपनी जगह पर रुक गई. पूरा कामकाज ठप हो गया. इस स्थिति को देखते हुए कुछ महत्वपूर्ण फाइलों को ऑफलाइन चलाने का भी निर्णय लेना पड़ा. न केवल सचिवालय बल्कि विभाग और थाने चौकियां तक में भी अधिकारियों और कर्मचारियों की स्थिति असहाय सी हो गई.

इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के युग में पूरे प्रदेश का सिस्टम कुछ घंटों के लिए बंद नहीं रहा बल्कि इसे ठीक करने में कई दिन लग गए.जाहिर है कि इससे उत्तराखंड का बड़ा नुकसान हुआ है. ऐसा किसी एक वायरस के कारण हुआ या फिर यह कोई साइबर अटैक था इस पर भी अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. बड़ी बात यह है कि भारत सरकार के आईटी एक्सपर्ट भी उत्तराखंड को बुलाने पड़े हैं. ऑनलाइन सिस्टम को ठीक करने में एक लंबा वक्त लग रहा है. इस बीच अब दावा किया गया है कि प्रमुख विभागों की वेबसाइट को सुचारू कर दिया गया है. यानी पांचवें दिन अभी कई ऐसी वेबसाइट या महत्वपूर्ण ऑनलाइन एप्लीकेशन हैं जो सुचारू नहीं हो पाए हैं. सवाल यह उठ रहा है कि महंगे एंटीवायरस और मॉनिटरिंग सिस्टम भी ऐसे वायरस का सामना नहीं कर पा रहे हैं, यदि यह साइबर अटैक था तो ऐसे साइबर अटैक से कम समय में लड़ने के लिए कोई सिस्टम तैयार नहीं है. हालांकि, अभी अधिकारियों का दावा है कि उनका डाटा पूरी तरह से सेफ है, लेकिन जिस तरह पूरे सिस्टम को कई दिनों तक जूझना पड़ा है उससे यह तो स्पष्ट है कि तैयारी मुकम्मल नहीं थी. राज्य के इस महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डाटा को सेफ रखने के लिए और तैयारी की जरूरत है.

स्टेट डाटा सेंटर में आए मालवेयर के कारण बैंड की गई प्रमुख विभागों की जिन वेबसाइट को शुरू किया गया है, उनमें अपणी सरकार, ई ऑफिस, ई रवन्ना पोर्टल, चार धाम पंजीकरण की वेबसाइट शामिल है. आईटीडीए की निदेशक ने बताया सीएम हेल्पलाइन और स्टेट पोर्टल को पहले ही सुचारू कर दिया गया है. अब तक किसी भी तरह के डाटा लॉस की कोई जानकारी नहीं है उत्तराखंड के आईटी सिस्टम पर साइबर अटैक के बाद न केवल सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े अधिकारी अलर्ट हो गए हैं बल्कि पुलिस विभाग ने भी साइबर क्राइम से जुड़े मामलों पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. इसी कड़ी में उत्तराखंड पुलिस ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए पांच राज्यों से सूचनाओं और सुझाव मांगे हैं. पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने जिन पांच राज्यों से सुझाव और सूचनाओं मांगी है उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल है.उत्तराखंड के आईटी सेक्टर पर बड़ा साइबर हमला होने के बाद कई दिनों तक कामकाज ठप रहा. अब भी कुछ वेबसाइट और एप्लीकेशन ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं. स्थिति यह है कि साइबर अटैक होने के बाद सर्वर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. इसके बाद सभी एप्लीकेशंस भी बंद कर दी गई. जाहिर है कि इस स्थिति के कारण राज्य का पूरा काम ठप हो गया. ऑनलाइन फाइलें और दूसरी सभी एक्टिविटीज पूरी तरह से थम गई. यहां तक की ऑनलाइन FIR और चौकी थानों से जुड़े कामकाज भी पूरी तरह से बाधित हो गए.

बड़ी बात यह है कि साइबर अटैक करने वालों ने इसके बाद फिरौती भी मांगी. जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है.उत्तराखंड में पैदा हुई इस स्थिति के बाद अब उत्तराखंड सूचना एवं प्रौद्योगिकी डिपार्टमेंट के अलावा पुलिस विभाग भी सक्रिय हो गया है. उसने ऐसे मामलों से बचने के लिए दूसरे कई राज्यों से सुझाव मांगे हैं. उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक ने इस संदर्भ में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखकर विभिन्न सुझाव और जानकारियां मांगी हैं.इसके तहत साइबर अपराधों से जुड़ी विस्तृत जानकारी और विवरण मांगा गया है. इन प्रदेशों में हुए साइबर अपराधों की भी जानकारियां मांगी गई हैं. जिससे इन अपराधों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जा सके. पुलिस स्टेशन जिला और राज्य स्तर के साइबर अपराधों के नियंत्रण के लिए बनाए गए तंत्र की जानकारी भी मांगी गई है. इतना ही नहीं तकनीकी संसाधनों के बारे में भी सूचनाओं मांगी गई है. जिससे इसी आधार पर उत्तराखंड को भी सशक्त किया जा सके. राज्य लोक सेवा आयोग की वेबसाइट पर नई भर्तियों के विज्ञापन, परीक्षाओं के परिणाम, एडमिट कार्ड से लेकर सिलेबस तक सब कुछ जानकारी उपलब्ध होती है। साइबर हमले के बाद से यह वेबसाइट बंद है। इसका बैकअप आईटीडीए के पास से लिया गया था जो माकोप रैनसमवेयर हमले में इंक्रिप्ट हो गया था। इसके चलते आठ दिन से वेबसाइट बंद पड़ी हुई है।लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला (लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)

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