
चमोली के माणा गांव में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही
उत्तराखंड में पिछले 48 घंटे से हो रही भारी बारिश के बाद जिस चीज का डर था वही हुआ। भारी बारिश ने और बर्फबारी ने अब तबाही मचानी शुरू करदी है। शुक्रवार की दोपहर को बदरीनाथ धाम के माणा में ग्लेशियर टूटने से 57 मजदूर बर्फ में दब गए हैं। चमोली जिले में बदरीनाथ धाम के समीप स्थित माना गांव के पास एक ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हुआ है. इस दुर्घटना में सीमा सड़क संगठन के ठेकेदार के तहत काम कर रहे 57 मजदूर मलबे में दब गए. अब तक 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. शेष 41 मजदूरों की तलाश जारी है. बताया जा रहा है कि भारी बर्फबारी के कारण ये घटना हुई है. उत्तराखंड के बद्रीनाथ में हिमस्खलन की चपेट में आने से 47 लोगों के फंसे होने की आशंका है। पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आईजी ने एएनआई को बताया कि माणा के सीमावर्ती इलाके में सीमा सड़क संगठन के कैंप के पास भारी हिमस्खलन हुआ है, जिसमें सड़क निर्माण में लगे 57 मजदूर फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि इन मजदूरों में से 10 मजदूरों को बचा लिया गया है और गंभीर हालत में माणा के पास सेना कैंप में भेज दिया गया है।
इस बीच, बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के कार्यकारी अभियंता ने कहा कि 57 श्रमिक मौके पर मौजूद थे। तीन से चार एंबुलेंस भी भेजी गई हैं, लेकिन भारी बर्फबारी के कारण बचाव दल को वहां पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड के सीएम का ट्वीट कर कहा कि चमोली जिले के माणा गांव के पास बीआरओ द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन में कई श्रमिकों के दबने का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। आईटीबीपी, बीआरओ और अन्य बचाव दल द्वारा राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। मैं भगवान बद्री विशाल से सभी श्रमिक भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं। इस घटना ने 2021 में चमोली जिले में हुए एक अन्य ग्लेशियर हादसे की यादें ताजा कर दी हैं, जब ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची थी और कई लोगों की जान गई थी।बता दें कि चमोली जनपद में गुरुवार से भारी बारिश और बर्फबारी लगातार जारी है। जिसके चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है। जिलाधिकारी के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 के स्थान नन्दप्रयाग के निकट भूस्खलन क्षेत्र में लगातार पत्थर एंव मलबा गिर रहा है जिस कारण उक्त स्थान पर वाहनों के आवागमन से जनधन की हानि हो सकती है। इसे देखते हुए नंदप्रयाग भू स्खलन जोन से वाहनों का आवागमन 28.02.2025 के मध्याह्न 12.30 बजे से 01.03.2025 की सांय 5.00 बजे तक तत्काल प्रभाव से प्रतिबन्धित किया जाता है। मौसम विभाग की ओर से आज भी 6 जिलों में भारी बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया गया है। कहा गया है कि राज्य के बागेश्वर, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जिलों में अगले 24 घंटे भारी बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
मौसम विभाग ने लोगों से सावधान रहने की अपील की है। राज्य समीक्षा के पाठकों से भी गुजारिश है कि ऐसे में मौसम का हाल जानते रहें और सावधान होकर चलें, सुरक्षित रहें। हिमस्खलन को लेकर बीआरओ की टीमें भी बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। बता दें कि खराब मौसम की वजह से इलाके में लगातार बर्फबारी और बारिश हो रही है। देहरादून से भी कंट्रोल रूम बनाकर संपर्क साधा जा रहा है, लेकिन अभी अधिकारी बहुत कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। माणा गांव जोशीमठ और केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम से ज्यादा दूर नहीं है। सामरिक दृष्टि से यह बेहद अहम इलाका माना जाता है। आपदा कंट्रोल रूम का कहना है कि ITBP की टेक्निकल टीमों को भी मौके पर भेजा गया है। हेलीकॉप्टर को भी आपातकाल मोड में रखा गया है. चमोली के ऊपरी इलाकों में कई दिनों से भारी बर्फभारी हो रही है. मौसम विभाग ने पहले ही आज के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया हुआ था. यहां तक कि 32 सौ मीटर से ऊपर के एरिया में बर्फबारी होने की आशंका जताई थी. साथ ही एवलांच की आशंका भी जताई थी. अब बद्रीनाथ मंदिर से तीन किलोमीटर दूर माणा घस्तौली को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे के पास हिमस्खलन आया है. ये जगह करीब चार हजार से पांच हजार के बीच है. इसमें 57 मजदूरों के दबे होने की सूचना है, जिसमें से 16 को बचा लिया गया है. उत्तराखंड का माणा गांव भारत और चीन के बॉर्डर पर है. यहां सेना का बेस कैंप है. लिहाजा सेना सबसे पहले बचाव कार्य में जुटी है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को भेजा गया है. हिमस्खलन को लेकर बीआरओ की टीमें भी बचाव कार्य में जुट गई हैं.
चमाेली में हिमस्खलन की घटना ने साल 2021 में चमोली के रैणी में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा की याद दिला दी। तब ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा में बाढ़ के कारण 206 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले दो दिनों से पहाड़ों में मौसम काफी खराब है. उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के भी कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है. कहीं, नदियां उफान पर हैं तो कहीं नालों में गाड़ियां बह रही हैं. वहीं, भारी बारिश और बर्फबारी को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट भी जारी किए हैं. वहीं, कई अब भी लापता है। चमोली डीएम ने बताया खराब मौसम के कारण रेस्क्यू के लिए हेली सेवाओं का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया मौसम खराब होने के कारण मूवमेंट में भी दिक्कतें आ रही हैं. डीएम ने बताया मौके पर सेटेलाइट फोन या कोई अन्य उपकरण नहीं हैं, जिसके कारण स्पष्ट कम्यूनिकेशन नहीं हो पा रहा है. चमोली डीएम ने बताया अभी तक किसीकैजुअल्टी की कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा जल्द ही सभी को रेस्क्यू कर लिया जाएगा. डीएम ने कहा उच्च अधिकारियों से भी मदद को लेकर आश्वासन मिला है. वहीं घटना पर मुख्यमंत्री ने दुख जताया है. उन्होंने कहा कि ‘जनपद चमोली में माणा गांव के निकट बीआरओ द्वारा संचालित निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन की वजह से कई मजदूरों के दबने का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. आईटीबीपी, बीआरओ और अन्य बचाव दलों द्वारा राहत एवं बचाव कार्य संचालित किया जा रहा है.
भगवान बदरी विशाल से सभी श्रमिक भाइयों के सुरक्षित होने की प्रार्थना करता हू। यह साफ है कि जब तक हम पर्यावरण के प्रति अपने व्यवहार को नहीं बदलते, तब तक इस तरह की घटनाओं की संख्या में कमी नहीं आएगी, बल्कि इजाफा ही होगा। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये दुर्घटनाएं तभी रुकेंगी, जब हम इन परियोजनाओं पर पूरे ध्यान से विचार करें और इनके प्रभावों की भी सतत समीक्षा हो।“यदि हम अब भी नहीं चेते तो ऐसा न हो कि भविष्य में हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़े। ऐसे में इससे पहले प्रकृति अपना बदला ले हमें अपने व्यवहार को बदलना होगा। हमें समझना होगा कि भले ही हमने विकास की कितनी भी सीढ़ियां चढ़ ली हों पर अभी भी हम प्रकृति के आगे बौने ही हैं। लेखक ने विचार व्यक्त किए हैं।
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला(लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)