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How Kerala Education System is Top Among Indian States

भारत में शिक्षा का स्तर और साक्षरता दर देश के विकास का प्रमुख सूचक है। केरल, जिसे ‘भगवान का अपना देश’ कहा जाता है, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारत का सबसे पढ़ा-लिखा प्रदेश भी है। केरल की साक्षरता दर 96.2% है, जो इसे अन्य भारतीय राज्यों से कहीं आगे ले जाती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि क्यों केरल शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है और कौन-से कारक इसे संभव बनाते हैं।
देश में सबसे पढ़ा- लिखा राज्य केरल है. लेकिन क्या आप केरल का शिक्षा फॉर्मूला जानते हैं कि ऐसा क्यों है? आइए यहां जानें इस राज्य की शिक्षा प्रणाली के बारे में

केरल राज्य देशभर में अच्छी साक्षरता दर के लिए जाना जाता है केरल में 96.02 प्रतिशत पुरुष और 91.98 प्रतिशत महिलाएं पढ़ी- लिखी है. आइए यहां जानें केरल से जुड़ी साक्षरता दर के बारे में ऐसी बेहतर शिक्षा प्राणाली के चलते साल 1991 में केरल, भारत का सबसे अधिक पढ़ा-लिखा राज्य बन गया. 2006 से 2007 के बीच एजुकेशन डेवलपमेंट इंडेक्स (EDI)में केरल टॉप रहा. ESI किसी राज्य में शिक्षा के स्तर को मापने का पैमाना, जिसके तहत केरल को एजुकेशन के मामले में नंबर वन माना गया.साल 2007 में केरल में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में बढ़त हुई. या फिर कहिए की अन्य राज्यों के मुकाबले केरल में हर वर्ग के छात्रों को शिक्षा का समान अधिकार दिया गया.1991 में साक्षरता दर में सफलता को देखते हुए केरल में एजुकेशन नोडल एजेंसी ने साल 2014 में Athulyam literacy programme चलाया. जिसका मकसद राज्य की साक्षरता दर में और बढ़ावा लाना था. इसी के चलते साल 2016 में केरल देशभर में अन्य राज्यों के मुकाबले टॉप पर रहा. केरल में पढ़ाने का सिस्टम काफी अच्छा है खासतौर पर 10वीं तक विशेष रूप से शिक्षा दी जाती है.

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

केरल में शिक्षा का इतिहास प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है। राजा-महाराजाओं और धार्मिक संस्थानों ने शिक्षा को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई। 19वीं सदी में त्रावणकोर और कोचीन राज्यों में शिक्षा को विशेष प्राथमिकता दी गई। मिशनरी संस्थाओं और समाज सुधारकों जैसे नारायण गुरु, अय्यनकाली, और चेट्टूर ईश्वरन ने भी शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया।

सरकार की पहल

केरल सरकार ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। 1956 में राज्य के गठन के बाद, शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और मुफ्त बना दिया गया। राज्य सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों के नेटवर्क को मजबूत किया और शिक्षा का बजट बढ़ाया।

साक्षरता अभियान

केरल ने 1990 के दशक में ‘संपूर्ण साक्षरता अभियान’ (Total Literacy Campaign) चलाया, जिसने राज्य की साक्षरता दर को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया। इस अभियान के तहत, विशेष रूप से वयस्क शिक्षा पर जोर दिया गया। परिणामस्वरूप, यहाँ वयस्क साक्षरता दर भी उच्चतम है।

महिलाओं की शिक्षा

केरल महिलाओं की शिक्षा में अग्रणी रहा है। महिलाओं की साक्षरता दर 92% से अधिक है, जो भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं अधिक है। राज्य ने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई विशेष योजनाएँ और छात्रवृत्तियाँ शुरू कीं। यह महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता का एक प्रमुख कारण है।

सामाजिक सुधार और जागरूकता

केरल में समाज सुधार आंदोलनों ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। जाति और लिंग आधारित भेदभाव को कम करने के लिए शिक्षा को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया। सामाजिक जागरूकता ने शिक्षा को हर घर तक पहुँचाया।

बुनियादी ढांचा और तकनीकी प्रगति

केरल में शैक्षिक संस्थानों का मजबूत बुनियादी ढांचा है। राज्य के लगभग हर गाँव में प्राथमिक विद्यालय और हर क्षेत्र में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उपलब्ध हैं। इसके अलावा, डिजिटल शिक्षा को भी बढ़ावा दिया गया है, जिससे छात्रों को आधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ सीखने का अवसर मिलता है।

स्वास्थ्य और पोषण

शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य और पोषण पर भी ध्यान दिया गया। मिड-डे मील योजना ने न केवल छात्रों को स्कूलों में बनाए रखा, बल्कि उनके स्वास्थ्य में भी सुधार किया।

प्रवासी आय

केरल के लाखों लोग विदेशों में काम करते हैं और वहाँ से जो धनराशि राज्य में आती है, वह शिक्षा के क्षेत्र में निवेश का एक प्रमुख स्रोत है। इसने उच्च शिक्षा और पेशेवर पाठ्यक्रमों के विकास को प्रोत्साहित किया है।

सांस्कृतिक दृष्टिकोण

केरल में शिक्षा को हमेशा एक सामाजिक मूल्य के रूप में देखा गया है। यहाँ के लोग शिक्षा को अपने जीवन की सफलता और सामाजिक उन्नति का आधार मानते हैं।

केरल में कई उत्कृष्ट स्कूल हैं जो अपनी शिक्षा गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। आपके बच्चे की ज़रूरत और बजट के आधार पर, आप विभिन्न प्रकार के स्कूलों में से चुन सकते हैं, जैसे कि CBSE, ICSE, या राज्य बोर्ड से जुड़े स्कूल। यहाँ केरल के कुछ प्रमुख स्कूलों की सूची दी गई है:

1. Rajagiri Public School, Kochi
CBSE से संबद्ध
बेहतरीन शिक्षा और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

2. Trivandrum International School, Thiruvananthapuram
ICSE और IGCSE पाठ्यक्रम
अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल।

3. Global Public School, Kochi
CBSE और Cambridge International Examinations (CIE) पाठ्यक्रम
व्यापक सह-पाठ्यक्रम विकल्प।

4. Choice School, Ernakulam
CBSE से संबद्ध
अकादमिक और कला दोनों में उत्कृष्टता।

5. Loyola School, Thiruvananthapuram
ICSE और ISC पाठ्यक्रम
राज्य के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक।

केरल का सबसे पढ़ा-लिखा प्रदेश होना केवल एक आकस्मिक घटना नहीं है, बल्कि यह सरकार, समाज सुधारकों, और आम जनता के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। शिक्षा के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता और जागरूकता इसे अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बनाती है। यदि पूरे भारत में केरल की शिक्षा प्रणाली को अपनाया जाए, तो देश की साक्षरता दर में अभूतपूर्व सुधार हो सकता है।

Writer- Naveen Chandra Suyal (MA,Bed)
Date-20 Dec 2024

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