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India का Nepal को पहले मोटर पुल का तोहफा

भारत का नेपाल को पहले मोटर पुल का तोहफा

नेपाल सरकार हमेशा से उत्तराखंड के कई इलाकों को नेपाल का बता कर अपने मैप में दर्शाती रही है. इन हरकतों का कई बार भारत सरकार ने विरोध भी किया है. भारत और नेपाल के बीच संबंधों में हल्की सी कड़वाहट के बीच उत्तराखंड सरकार की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है. यह कदम भारत और नेपाल के संबंधों को और मजबूत कर सकता है.भारत और नेपाल को जोड़ने वाला उत्तराखंड में देश का पहला पुल बनकर तैयार हो गया है. इस पुल के तैयार होने के बाद नेपाल को और उत्तराखंड को व्यापारिक दृष्टि से फायदा होगा. साथ ही दोनों देशों के संबंधों में मधुरता भी आ सकती है. आज से लगभग 2 साल पहले इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. खास बात यह है कि पुल में एक-एक पैसा उत्तराखंड सरकार लगा रही है. इस पुल के तैयार होने के बाद नेपाल एशियन हाईवे से जुड़ जाएगा. 110 मीटर लंबा ये मोटर पुल पिथौरागढ़ के छारछुम इलाका से शुरू हो रहा है. खास बात यह है कि पुल निर्माण के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार नेपाल की सीमा में बनने वाली 180 मीटर की एप्रोच रोड भी बनवा रही है.

हालांकि अभी इसकी डीपीआर बनकर शासन में पहुंची है, लेकिन जल्द ही बजट स्वीकृत होने की उम्मीद भी है. पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है. एप्रोच रोड के बनने के बाद दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी. पुल तो बनकर तैयार हो गया है, लेकिन इस पर आवाजाही 2025 में शुरू होगी, जब रोड पूरी तरह से नेपाल की सीमा में बन कर तैयार हो जाएगी. पुल की खास बात यह है कि इस पर बड़े वाहन भी आना जाना कर सकेंगे. इतना ही नहीं पैदल चलने के लिए सर्विस लाइन भी दी गई है. भारत और नेपाल को जोड़ने वाला यह पहला ऐसा पहला पुल है, जहां से गाड़ियों की आवाजाही हो पाएगी.

अब तक जितने भी पुल उत्तराखंड में नेपाल को जोड़ रहे हैं, वह अधिकतर झूला पुल ही हैं. पुल के पास ही एसएसबी की चौकी बनाई जा रही है. साथ ही पार्किंग के साथ जवानों के रहने की व्यवस्था के लिए भी इमारत खड़ी होगी. दोनों ही देशों की सुरक्षा एजेंसियां यहां पर तैनात होंगी. ये बॉर्डर पर पहला फोर लेन पुल है. रात और दिन वाहन आना जाना करेंगे. उत्तराखंड की सीमा से बनने वाले इस पुल को लेकर उत्तराखंड सरकार भी बेहद खुश है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि भारत और नेपाल के बीच हमेशा से मधुर संबंध रहे हैं. हम यह चाहेंगे कि यह रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत हों. उत्तराखंड की सीमा नेपाल से लगती है. नेपाल के लोग उत्तराखंड में व्यापार करने के लिए और धार्मिक गतिविधियों के लिए भी आते हैं.

हमें उम्मीद है कि पुल निर्माण के बाद चारधाम यात्रा पर आने वाले नेपाल के श्रद्धालुओं को भी इसका फायदा मिलेगा. लोग अपनी गाड़ी से चारधाम यात्रा दर्शन करने आएंगे. यह अपने आप में अद्भुत होगा. पुल के निर्माण के बाद दोनों ही देश में व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी. काली नदी पर बनने वाला यह पुल पूरी तरह से तैयार हो गया है. पीडब्ल्यूडी ने इसको बनाया है. अब तक पैदल मार्ग ही नेपाल और भारत के बीच एकमात्र साधन था. पिथौरागढ़ जिले में इतना बड़ा पुल निर्माण होने के बाद दोनों ही देशों को इसका फायदा मिलने जा रहा है. खास बात यह है कि नेपाल का हाइवे पुल के समीप से गुजर रहा है. इसको लेकर नेपाल सरकार द्वारा यह कहा गया था कि अगर हमारी एजेंसी पुल या यह कहें मार्ग को हाइवे तक बना देती है, तो उनका फायदा होगा. हमने इस बात को मानकर आगे की कार्रवाई भी शुरू कर दी है. उम्मीद है कि अगले साल यह पुल चालू हो जाएगा.

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला (लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)

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