
भारत में असंगठित क्षेत्र में एक साल में एक करोड़ से अधिक रोजगार बढ़ा है। 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज किए जाने के बाद अब इस क्षेत्र में 12 करोड़ से अधिक लोग काम कर रहे हैं देश के असंगठित क्षेत्र के उद्यमों में एक साल में एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला। यानी, रोजगार में 10% की वृद्धि हुई। इस दौरान असंगठित उद्यमों की संख्या भी 12% से अधिक बढ़ गई। इससे इस क्षेत्र में रोजगार की संख्या 12 करोड़ पार कर गई। वहीं, असंगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की कुल संख्या 2022-23 के 6.50 करोड़ के मुकाबले 2023-24 में 7.34 करोड़ हो गई।
केंद्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने अक्तूबर, 2023 से सितंबर, 2024 के बीच की अवधि के लिए गैर कृषि असंगठित उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण किया, जिसके निष्कर्ष असंगठित क्षेत्र के स्वस्थ विकास को दिखाते हैं। सर्वे से पता चलता है कि इस अवधि में इस क्षेत्र के उद्यमों में 12 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला, जो एक साल पहले के मुकाबले एक करोड़ अधिक है। यह श्रम बाजार की मजबूत वृद्धि बताता है।
महिला उद्यमियों की संख्या 14% बढ़ी
असंगठित क्षेत्र में महिलाओं के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 2022-23 के 22.9 फीसदी से बढ़कर इस वर्ष 26.2 फीसदी हो गई है। यानी महिला उद्यमियों की संख्या में 14% का उछाल आया है। इससे व्यवसाय में महिलाओं की बढ़ती रूचि और दबदबे का पता चलता है।
कमाई भी 13% बढ़ी
प्रति कर्मचारी औसत पारिश्रमिक में वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में 13% की वृद्धि हुई, जो वेतन स्तर में सुधार का महत्वपूर्ण संकेत है। यह वेतन वृद्धि उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है, श्रम बाजार को मजबूत करती है, व्यापक आर्थिक मांग को बढ़ावा देती है।
असंगठित क्षेत्र के विनिर्माण क्षेत्र में 16% से अधिक बढ़ी कमाई
असंगठित क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ कमाई मोर्चे पर भी अच्छी खबर है। वर्ष 2022-23 की तुलना में प्रति कर्मचारी औसत पारिश्रमिक में सर्वाधिक वृद्धि विनिर्माण क्षेत्र में देखी गई, जिसमें 16 प्रतिशत से थोड़ी अधिक वृद्धि हुई। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सर्वे के अनुसार अक्तूबर, 2023 से सितंबर, 2024 के बीच असंगठित क्षेत्र में सबसे अधिक 17.86 फीसदी की मजबूत रोजगार बढ़त अन्य सेवा क्षेत्रों में हुई, जबकि विनिर्माण क्षेत्र दूसरे स्थान पर रहा, जिसमें 10.03 प्रतिशत रोजगार वृद्धि हुई। इस दौरान अन्य सेवा क्षेत्र में प्रतिष्ठानों की संख्या 23.55 फीसदी बढ़ गई। इसके बाद विनिर्माण क्षेत्र में 13 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह उल्लेखनीय वृद्धि लगातार क्षेत्रीय विस्तार को उजागर करती है और असंगठित क्षेत्र के समग्र विकास को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि करती है।
डिजिटल पैठ बढ़ी
सर्वे के अनुसार इंटरनेट का उपयोग करने वाले प्रतिष्ठानों का प्रतिशत भी 2022-23 के 21.1 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 26.7 प्रतिशत हो गया है। केंद्र सरकार की ओर से पूरे देश में डिजिटल पहुंच बढ़ाने के प्रयासों की सफलता इसमें नजर आती है। इसके साथ ही व्यावसायिक संचालन के लिए इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता भी दिखती है।
Uttarakhand: वन आरक्षी की प्रतीक्षा सूची के चयनितों को जल्द ही मिल सकती है खुशखबरी, शासन से सकारात्मक संकेत
इस साल जनवरी में वन आरक्षी के 892 पदों पर भर्ती का परिणाम जारी किया गया था। इसमें प्रतीक्षा सूची का भी जिक्र था। कार्मिक विभाग ने नियुक्ति को लेकर सकारात्मक जवाब भेजा है। ऐसे में संकेत हैं कि जल्द खुशबखरी से जुड़ा आदेश जारी हो सकता है।
वन आरक्षी के प्रतीक्षा सूची के चयनित अभ्यर्थियों को जल्द खुशखबरी मिल सकती है। शासन में नियुक्ति के मामले को लेकर सकारात्मक संकेत हैं। कार्मिक से भी हरी झंडी मिलने की बात कही जा रही है। इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी हो सकते हैं।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने इस साल जनवरी में वन आरक्षी के 892 पदों पर भर्ती का परिणाम जारी किया था। इसमें प्रतीक्षा सूची का भी जिक्र था। आयोग के माध्यम से प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों के अभिलेखों के सत्यापन समेत अन्य प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया गया था, लेकिन नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी।
प्रकरण को कार्मिक के पास सलाह के लिए भेजा गया था
उत्तराखंड प्रतीक्षा सूची नियमावली-2023 के नियमानुसार परिणाम जारी होने के एक साल तक ही प्रतीक्षा सूची मान्य रह सकती है। ऐसे में चयनित प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थी वन मुख्यालय पर नियुक्ति देने की मांग को लेकर धरना तक दे चुके हैं। इस मामले में शासन में सचिव वन कार्यालय से वन मुख्यालय से जानकारी मांगी गई थी।
इसके बाद प्रकरण को कार्मिक के पास सलाह के लिए भेजा गया था। बताया जा रहा कि कार्मिक ने नियुक्ति को लेकर सकारात्मक जवाब भेजा है। ऐसे में संकेत हैं कि जल्द खुशबखरी से जुड़ा आदेश जारी हो सकता है।
लेखक-नवीन चंद्र सुयाल