Site icon Freesabmilega.com

Monsoon Season मानसून के 10 नियम: सावधानी ही सुरक्षा है

s that will change your life

🌧️ मानसून ऋतु में बरती जाने वाली सावधानियाँ: एक विवेचन
परिचय:

भारतवर्ष में मानसून ऋतु का आगमन एक आनंददायी अनुभूति लेकर आता है। तप्त धूप से झुलसे हुए जनजीवन को जब शीतल जल की फुहारें स्पर्श करती हैं, तो प्रकृति स्वयं खिल उठती है। परंतु इस मनोरम ऋतु के साथ अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ तथा दैनिक जीवन की बाधाएँ भी जुड़ी होती हैं। अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि हम इस ऋतु में कुछ विशेष सावधानियाँ अपनाकर अपने स्वास्थ्य एवं जीवन की रक्षा करें।

1. भीगने से बचें और गीले वस्त्रों में न रहें
मानसून में प्रायः लोग अनायास वर्षा में भीग जाते हैं, जिससे सर्दी, खाँसी, ज्वर एवं अन्य संक्रामक रोगों का भय उत्पन्न होता है।=
सावधानी:

भीगने की स्थिति में तुरंत सूखे वस्त्र धारण करें।

गुनगुने जल से स्नान कर शरीर को तापमान प्रदान करें।

बालों को भली-भाँति सुखाएं।
r
2. संक्रामक रोगों से सतर्कता
वर्षा ऋतु में वायुमंडल में आर्द्रता की अधिकता के कारण वायरस व बैक्टीरिया तीव्र गति से फैलते हैं। फलस्वरूप मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, टायफाइड, हैजा इत्यादि रोग आम हो जाते हैं।

सावधानी:

समय-समय पर हाथ धोना आवश्यक है।

dfभोजन से पूर्व एवं शौच के पश्चात स्वच्छता का पालन करें।

सार्वजनिक स्थानों में मास्क का प्रयोग करें।

3. मच्छरों से बचाव
बारिश के पश्चात रुका हुआ जल मच्छरों के प्रजनन हेतु उत्तम स्थान बन जाता है। डेंगू व मलेरिया जैसे रोग इन्हीं से फैलते हैं।

सावधानी:

घर के आस-पास जल जमाव न होने दें।

मच्छरदानी, रिपेलेंट क्रीम या धूपदानी का प्रयोग करें।
f
पूर्ण बाहों वाले वस्त्र पहनें।

4. भोजन संबंधी सतर्कता
मानसून में भोजन शीघ्र दूषित हो जाता है, जिससे खाद्य विषाक्तता व उदर विकार उत्पन्न होते हैं।

सावधानी:

ताजा एवं स्वच्छ भोजन ही करें।

खुले में रखा भोजन अथवा सड़क किनारे का भोजन त्यागें।
ee
हरे पत्तेदार सब्जियों को भली-भाँति धोकर पकाएं।

5. शुद्ध पेयजल का सेवन
गंदे जल के माध्यम से अनेक रोगों का प्रकोप होता है जैसे हैजा, पेचिश, पीलिया आदि।
f
सावधानी:

उबला हुआ अथवा फिल्टर किया हुआ जल ही सेवन करें।

जल पात्रों को स्वच्छ रखें।

बच्चों को बाहर का पानी पीने से रोकें।

6. उचित पादरक्षाएँ (जूते)
मानसून में कीचड़ व जलभराव के कारण फिसलने की संभावना बढ़ जाती है।

सावधानी:

रबरयुक्त तलवों वाले जूते पहनें जो फिसलन से बचाएँ।

प्रतिदिन जूतों को सुखाएं ताकि फंगस न पनपे।
fe
गीले जूतों का पुनः प्रयोग न करें।

7. गृहस्वच्छता
नमी के कारण दीवारों, लकड़ी व वस्त्रों में फफूँद लग सकती है, जिससे एलर्जी व त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं।

सावधानी:

नियमित रूप से घर की सफाई करें।

नम स्थानों में नेप्थलीन बॉल्स, कपूर या डिओडोराइज़र रखें।

वेंटिलेशन का विशेष ध्यान रखें।

8. विद्युत उपकरणों का सतर्क प्रयोग
मानसून में बिजली गिरने अथवा शॉर्ट सर्किट की घटनाएँ बढ़ जाती हैं।

सावधानी:

गीले हाथों से किसी भी स्विच या प्लग को न छुएं।

खराब वायरिंग की समय-समय पर जाँच कराएँ।

बिजली कड़कने के समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद रखें।

9. पर्याप्त निद्रा एवं मानसिक शांति
वर्षा ऋतु में मौसम का मिज़ाज आलस्य को बढ़ावा देता है। अतः शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

सावधानी:

प्रतिदिन 7-8 घंटे की गहरी नींद लें।

योग, ध्यान एवं प्राणायाम को दिनचर्या में सम्मिलित करें।

अत्यधिक चिंता व तनाव से बचें।

10. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
इस ऋतु में इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने से शरीर शीघ्र बीमारियों की चपेट में आता है।

सावधानी:

आयुर्वेदिक काढ़ा, तुलसी, अदरक, हल्दी इत्यादि का सेवन करें।

मौसमी फलों एवं हरी सब्जियों का सेवन करें।

नियमित व्यायाम करें।
लेखक-आकर्ष सुयाल

Exit mobile version