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Pitru Paksha 2024

Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में न खरीदें ये चीजें, वरना नाराज होंगे पितृ, झेलनी पड़ेगी परेशानी

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व माना गया है। यह अवधि पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म तर्पण और पिंडदान आदि करने के लिए उत्तम मानी गई है। ऐसा माना जाता है कि 15 दिनों की अवधि में पितृ धरती लोक पर आते हैं। पितृ पक्ष के दौरान कई तरह की सावधानियां बरतनी होती हैं वरना भारी नुकसान झेलना पड़ता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है, ऐसे में इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 से हो रही है। इन्हें ‘श्राद्ध’ (Shradh Paksha 2024) भी कहा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष के दौरान कौन-सी चीजें नहीं खरीदनी चाहिए, वरना आपको पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

बढ़ सकती हैं समस्याएं

पितृपक्ष के दौरान भूल से भी लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में लोहे का सामान खरीदने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है। जिस कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भूल से भी न खरीदें ये चीजें

पितृपक्ष में नए कपड़े या गहने आदि खरीदने के भी मनाही होती है। ऐसा करना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। यह आपके पितरों की नाराजगी का कारण बन सकता है। इसी के साथ नया वाहन या प्रॉपर्टी खरीदना भी पितृपक्ष के दौरान वर्जित माना जाता है।

इन चीजों की भी है मनाही

ऐसा माना गया है कि पितृपक्ष के दौरान सरसों का तेल, झाड़ू और नमक खरीदने से व्यक्ति को त्रिदोष लग सकता है। जिस कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आपके ये सभी चीजें पितृपक्ष से पहले ही खरीद कर रख लेनी चाहिए।

इन नियमों का जरूर रखें ध्यान

पितृपक्ष के दौरान कुछ मांस-मदिरा से दूरी बनानी चाहिए। इस अवधि में लहसुन-प्याज रहित सात्विक भोजन ही खाएं। साथ ही पितृपक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसी के साथ अपने आस-पास का माहौल भी सात्विक रखने का प्रयास करें।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें

Pind Daan in Gaya: गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से होगी। वहीं इसका समापन 02 अक्टूबर को होगा। इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित है। पितृ पक्ष में पितरों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान (Pind Daan History) और तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और साधक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृ पक्ष को महत्वपूर्ण माना जाता है। पितृ पक्ष की अवधि 16 दिनों तक चलती है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की उपासना कर पिंडदान करते हैं। देव नगरी गया में पिंडदान (Pind Daan History) किया जाता है। क्या आपको पता है कि गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान (Pind Daan Significance)। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

ये है वजह

पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नाम का एक असुर था। वह श्रीहरि की भक्ति बहुत करता था। उसने अपनी भक्ति के द्वारा भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और सभी देवी-देवताओं से बहुत पवित्र होने का वरदान प्राप्त किया। माना जाता है कि प्राचीन समय में गयासुर के दर्शन करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती थी। उसे मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी। इससे स्वर्ग में अव्यवस्था फैल गई। ऐसा देख सभी देवी-देवता चिंतित होने लगे। इस स्थिति में देवी-देवताओं ने गयासुर (Pind Daan in Gaya) से किसी पवित्र जगह पर यज्ञ करने की इच्छा जाहिर की।

भगवान विष्णु हुए भाव विभोर

इस बात को सुनकर गयासुर गया जी में भूमि पर लेट गए और इसी जगह पर देवी-देवताओं ने गयासुर के शरीर पर विधिपूर्वक यज्ञ किया। यज्ञ के दौरान गयासुर का शरीर स्थिर रहा। ऐसा देख सभी देवता श्रीहरि के पास पहुंचे। गयासुर की भक्ति से मुक्ति दिलाने की इच्छा जताई।

तभी विष्णु जी गयासुर के शरीर पर विराजमान हो गए। इस दौरान प्रभु ने गयासुर से वर मांगने के लिए कहा। गयासुर ने बोला कि आप अनंत काल तक इस स्थान पर विराजमान रहें। इस बात को सुनकर प्रभु उसके भाव में डूब गए और गयासुर का शरीर पत्थर में बदल हो गया।

पूर्वजों को होगी मोक्ष की प्राप्ति

तब श्रीहरि ने कहा कि जो जातक अपने जीवनकाल के दौरान सच्चे मन से गया में अपने पितरों का पिंडदान करेगा। उसके मृत पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने फल्गु नदी पर अपने पिता जी का पिंडदान किया था। तभी गया में पितरों का पिंडदान किया जाता है।

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