भारत में ऐसे अनोखे और अद्भुत मंदिर, जहां की जाती है रावण की पूजा
आपने आजतक कई देवी देवताओं की पूजा की होगी, लेकिन कभी भारत के ऐसे मंदिरों के बारे में सूना है, जहां रावणों की पूजा की जाती है? जहां दशहरा के दिन वहां के स्थानीय निवासी रावण के पुतले को न जलाकर उसकी पूजा करते हैं? अगर नहीं तो इस लेख में उन मंदिरों के बारे में जरूर पढ़ें।
रामायण का खलनायक रावण जिसे अन्याय और अधर्म का प्रतीक माना जाता है वह लंका में तो पूजित है ही, क्योंकि वह लंका का राजा हुआ करता था। श्रीलंका का कोनस्वरम मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध रावण मंदिरों में से एक है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है और कुछ स्थानों पर रावण भगवान शिव के मंदिर में भाी विराजमान हैं। चलिए आपको इस लेख में भारत के रावण मंदिरों के बारे में जानकारी देते हैं।
बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश – Baijnath Temple in Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बैजनाथ मंदिर कोई रावण मंदिर नहीं है, बल्कि भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है। रावण और इस स्थल से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं शामिल हैं। कुछ का मानना है कि रावण ने इस स्थान पर लंबे समय तक शिव की पूजा की थी और इसलिए, ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए उसी स्थान पर एक मंदिर बनाया गया था। जबकि ऐसा भी मानना है कि एक बार रावण अपने हाथों में एक शिवलिंग के साथ बैजनाथ से लंका जा रहा था। लेकिन, उनके साथ कुछ देवताओं ने चालाकी करके उन्हें उसी स्थान पर शिवलिंग रखने के लिए बोल दिया। परिणाम स्वरुप, शिवलिंग स्थायी रूप से वही स्थापित हो गया, हालांकि रावण ने इसे हटाने की बहुत कोशिश की, लेकिन शिवलिंग अपनी जगह से नहीं हिला।
रावण मंदिर कानपुर, उत्तरप्रदेश – Ravana Temple in Kanpur, UP
कानपूर एक ऐसी जगह है, जहां दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है। बल्कि यहां रावण का मंदिर भी मौजूद है, जो साल में केवल दो दिन के लिए दशहरा के दिन ही खोला जाता है। इस दिन के मौके पर पूरे विधि-विधान से रावण की मूर्ती को दूध से नहलाया जाता है और फिर उनका श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद रावण की आरती की जाती है। बहुत कम लोगों ये बात पता है कि जिस दिन राम के हाथों रावण को मोक्ष प्राप्त हुआ था, उसी दिन रावण का जन्म हुआ था।
बिसरख, उत्तर प्रदेश में रावण मंदिर – Ravana Temple in Bisrakh, Uttar Pradesh.
ऐसा कहा जाता है कि बिसरख गांव रावण का जन्मस्थान है, जो कि ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश के पास स्थित है। इस जगह पर ऋषि विश्वास और उनके पुत्र रावण ने हजारों साल पहले एक शिवलिंग की पूजा की थी। लगभग एक सदी पहले, इस स्थान की खुदाई के बाद यहां शिवलिंग पाया गया था, और माना जाता है कि यह वही लिंगम है जिसकी पूजा रावण और उनके पिता किया करते थे। यहां शिव मंदिर में रावण की मूर्ति भी स्थापित है, जिसकी बड़े विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस गांव में कभी भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।
मंडोर, राजस्थान में रावण मंदिर – Ravana Temple in Mandor, Rajasthan.
मंडोर के निवासी मुख्य रूप से मौदगिल और दवे ब्राह्मण हैं, जो रावण को अपना दामाद मानते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि मंडोर ही वो जगह है, जहां रावण और पत्नी मंदोदरी का विवाह हुआ था। जिस स्थान पर उनकी शादी हुई थी वह जगह अभी भी इस शहर में मौजूद है। लेकिन अब यह लगभग खंडहर में तब्दील हो चुकी है। यहां रावण का एक मंदिर भी है, जिसे विशेष रूप से वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान बनवाया गया था।
मंदसौर, एमपी में रावण मंदिर – Ravana Temple in Mandsaur, Madhya Pradesh.
इंदौर शहर से राजस्थान-एमपी सीमा पर लगभग 200 किमी दूर स्थित, मंदसौर शहर ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का स्वर्ग है। यह एक ऐसा स्थान है जहां 10 सिर वाली 35 फीट ऊंची मूर्ति के रूप में रावण की स्तुति की जाती है। मंदिर खानपुर इलाके में स्थित है, और रावण के कई प्रशंसक इस स्थल पर आते जाते रहते हैं। इसके पास शाजापुर जिले में भड़केड़ी गांव स्थित है, जहां रावण के अजेय पुत्र मेघनाद को समर्पित एक और मंदिर है।
विदिशा, मध्य प्रदेश में रावण मंदिर – Ravana Temple in Vidisha, Madhya Pradesh.
मध्य प्रदेश में विदिशा नाम का एक शहर है, जहां लोग दावा करते हैं कि रानी मंदोदरी इस जगह की मूल निवासी थी। यह भोपाल से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है, और यहां दशहरा उत्सव रावण की 10 फीट लंबी लेटी हुई छवि की पूजा करके मनाया जाता है। कन्याकुब्ज ब्राह्मण समुदाय के स्थानीय लोग शादी जैसे अवसरों पर रावण का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में आते हैं।
काकीनाडा, आंध्र प्रदेश में रावण मंदिर – Ravana Temple in Kakinada, Andhra Pradesh.
काकीनाडा बेहद सुंदर जगह है, जहां इसी नाम का बीच रोड पर एक मंदिर परिसर है, जिसमें एक बड़े शिवलिंग के साथ रावण की 30 फीट की मूर्ति स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि यह इस शिवलिंग की स्थापना किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं रावण द्वारा की गई थी।
Team Freesabmilega.com