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Uttarakhand Youth Choose Hospitality Industry As Carrier Know Reasons Behind

होटल इंडस्ट्री में उत्तराखंडियों का राज, सर्वे में पहले नंबर पर पहुंचे पहाड़ के लोग


आप जब भी होटेल या रेस्तरां में लंच-डिनर पर जाते हैं तो गौर किया होगा कि वहां के स्टाफ में उत्तराखंड के लोग जरूर होते हैं। या तो शेफ के रूप में किचन संभाल रहे होते हैं, या फिर कस्टमर को खाना सर्व कर रहे होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड़ के गढ़वाल और कुमाऊं के लोग इस इंडस्ट्री में अधिक संख्या में है।

आपको जानकर खुशी होगी कि देशभर की होटल इंडस्ट्री में 50 फीसदी से ज्यादा मेहनतकश लोग उत्तराखंड से हैं। जानिए ये आंकड़े।

सबसे पहले आपको देश के सबसे बड़े शफ कहे जाने वाले संजीव कपूर के एक बयान के बारे में बता देते हैं। उनका कहना है कि 20 साल पहले उन्होंने दुबई में अपना रेस्तरां खोला था। वहां सभी शेफ उत्तराखंड से थे। संजीव कपूर कहते हैं कि ‘ उत्तराखंड के पहाड़ों में कई सालों से कुकिंग परंपरा की तरह है। कई रेस्तरां और होटेल में उत्तराखंड के लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। खासतौर पर टायर-2 और टायर-3 लेवल के शहरों में तेजी से बढ़ते रेस्तरां और होटेल कल्चर के साथ-साथ इस ट्रेंड में इजाफा हो रहा है। उत्तराखंड 13 जिलों वाला छोटा सा राज्य भले ही लेकिन यहां के शेफ दुनियाभर के होटलों में नंबर एक पर हैं। फ्रंट डेस्क , हाउसकीपिंग, फूड प्रॉडेक्शन और फूड-ब्रेवरेज सर्विस के मामले में उत्तराखंड के युवाओं का जवाब नहीं। अब आपको ताज़ा आंकड़ों के बारे में बता देते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड़ के गढ़वाल और कुमाऊं के युवा इस इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा संख्या में हैं। ये आंकड़ा कहता है कि होटल इंडस्ट्री में तकरीबन 50 फीसदी कार्यबल उत्तराखंड से ही है। ये आंकड़ा हाल ही में होटल सर्विसेज की पड़ताल करने वाली एक इंडस्ट्री के सर्वे में ये बड़ी बातें निकलकर सामने आई हैं। मुंबई की रहने वाली फूड रिसर्चर रशीना मनशॉ कहती हैं कि पहाड़ों के लोग प्राकृतिक रूप से मेहनतकश होते हैं। ये ही वजह है कि वो हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री का रुख करते हैं। इस इंडस्ट्री में अक्सर फिजिकल वर्क की डिमांड होती है। वो कहती हैं कि इंडस्ट्री में आपको उत्तराखंड से कोई ना मिले, ये हो ही नहीं सकता। वो कहती हैं कि पिछले हफ्ते ही वो मुंबई के कुरियन और जैपनीज रेस्तरां गई थी, वहां उन्हें पूरी टीम उत्तराखंड की मिली।


आप जब भी होटेल या रेस्तरां में लंच-डिनर पर जाते हैं तो गौर किया होगा कि वहां के स्टाफ में उत्तराखंड के लोग जरूर होते हैं। या तो शेफ के रूप में किचन संभाल रहे होते हैं, या फिर कस्टमर को खाना सर्व कर रहे होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड़ के गढ़वाल और कुमाऊं के लोग इस इंडस्ट्री में अधिक संख्या में है। इंडस्ट्री में तकरीबन 50 फीसदी कार्यबल उत्तराखंड के लोगों द्वारा ही है।

यह आंकड़ा एक इंडस्ट्री द्वारा जारी किया गया है। सिलेब्रिटी शेफ संजीव कुमार कहते हैं, ’20 साल पहले, मैंने दुबई में अपना रेस्तरां खोला था, वहां एक को छोड़कर सभी शेफ उत्तराखंड से ही थे।’ वह आगे कहते हैं, ‘पहाड़ों में कई सालों से कुकिंग एक परंपरा है, कई रेस्तरां और होटेल में उत्तराखंड के लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है।’

आज आप दुनिया के बड़े शहरों में चले जाइए। दुबई, सिंगापुर, मलेशिया, जापान, मुंबई, हर जगह आपको बड़े होटल्स में उत्तखंडियों द्वारा तैयार लज़ीज खाना मिलेगा। शेफ की सैलरी भी बेहतर होती है और ये एक बेहतर बिजनेस भी है। आज देशभर के बड़े शेफ की टीम उत्तराखंड से ही होती है और इस बात की जानकारी खुद सबसे बड़े सेलेब्रिटी शेफ संजीव कपूर दे चुके हैं। यकीन मानिए शेफ की नौकरी कोई छोटी-मोटी नहीं होती। खाने का खास ख्याल रखा जाता है, शिद्दत से इस भोजन को तैयार किया जाता है और हर कोई चटखारे लगाकर इसे खाता है। इस मामले में उत्तराखंड के लोग एक्सपर्ट हैं। वैसे भी उत्तराखंडियों के हाथ का स्वाद हर कोई जानता है। अब अच्छी खबर ये है कि देशभर की होटल इंडस्ट्री भी इस बात को मानती है।

विशेषकर टायर-II और टायर III श्रेणी के शहरों में तेजी से बढ़ते रेस्तरां और होटेल कल्चर के साथ इस ट्रेंड में भी इजाफा हो रहा है। 13 जिलों वाला उत्तराखंड भले ही एक छोटा राज्य हो लेकिन यहां 4 सरकारी होटेल मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट के साथ प्राइवेट संस्थान भी काफी संख्या में हैं जो युवाओं को हॉस्पिटैलिटी यूनिट के 4 बड़े विभाग में करियर बनाने की सेवा देते हैं- फ्रंट डेस्क (रिसेप्शन), हाउसकीपिंग, फूड प्रॉडेक्शन और फूड-ब्रेवरेज सर्विस।

हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री की गोथ 8.79 फीसदी
हर साल उत्तराखंड के अलग-अलग संस्थानों से लगभग 5 हजार छात्र ग्रैजुएट होते हैं जिनमें से ज्यादातर शेफ के रूप में जॉइन करते हैं जो इंडियन और तंदूरी डिश, कॉन्टिनेंटल, चाइनीज या बेकरी प्रॉडेक्ट में विशेषता रखते हैं। देहरादून स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ होटेल मैनेजमेंट के प्रिंसिपल जगदीप खन्ना कहते हैं, ‘एक खानसामा होना इस राज्य के ज्यादातर लोगों का जॉनर है। हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री की हेल्दी ग्रोथ 8.79 फीसदी हो गई है, जो होटेल और रेस्तरां की बढ़ती संख्या की एक प्रमुख वजह है, इससे इस सेक्टर में काफी जॉब क्रिएट होती हैं। पारंपरिक रूप से यहां के युवा सेना में भी जाते हैं।’

पहाड़ों के लोग अधिक परिश्रमी होते हैं
मुंबई निवासी फूड इतिहासविद् रशीना मनशॉ घिल्दियल कहती हैं कि पहाड़ों के लोग प्राकृतिक रूप से हार्ड वर्किंग होते हैं, इस वजह से वह हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री का रुख करते हैं जहां अक्सर फिजिकल वर्क की डिमांड होती है। वह कहती हैं, ‘इन दिनों रेस्तरां की टीम में उत्तराखंड का एक भी सदस्य न होना दुर्लभ है। पिछले हफ्ते ही, मैं मुंबई के कुरियन और जैपनीज रेस्तरां गई थी जहां मुझे पूरी टीम ही उत्तराखंड की मिली।’


होटेल बिजनस में सैलरी भी अच्छी

होटेल बिजनस में सैलरी भी अच्छी है, खासकर उनके लिए जिन्होंने शेफ की विशेषज्ञता हासिल की है। घरवाले भी अपने बच्चों के लिए इस इंडस्ट्री को अच्छा विकल्प मानते हैं। टिहरी के बसेली गांव के जीवा नॉटियाल पार्ट टाइम सिक्यॉरिटी गार्ड के रूप में काम करते हैं लेकिन अपनी आमदनी से पैसे बचाकर अपने बेटे को उसकी होटेल मैनेजमेंट की फीस अदा करने के लिए जरूर भेजते हैं। वह कहते हैं, ‘वह (बेटा) हमेशा कुकिंग में अच्छा रहा है और अब वह काफी कॉन्फिडेंट भी है और उसका पूरा व्यक्तित्व ही बदल गया है।’

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