
Christmas Day History, Origin, Facts in Hindi (क्रिसमस क्यों मनाते हैं): क्रिसमस ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे दुनियाभर में बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। ये त्योहार हर साल 25 दिसंबर को पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस त्योहार की कहानी और इतिहास? अगर नहीं तो ये आर्टिकल आपके लिए है
Christmas Day History, Origin, Facts in Hindi (क्रिसमस क्यों मनाते हैं): क्रिसमस एक ऐसा खास त्योहार है जिसे ईसाई धर्म के साथ ही अन्य धर्म के लोग भी बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। ईसाई धर्म की मान्यताओं अनुसार ये वही दिन है जब ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए इस खास दिन पर ईसाई लोग इकट्ठा होकर प्रभु यीशु की अराधना करते हैं और साथ में क्रिसमस कैरेल गाते हैं। इसके बाद लोग एक-दूसरे को मेरी क्रिसमस कहकर इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। चलिए आपको बताते हैं क्रिसमस का त्योहार कब से मनाया जा रहा है और इसका इतिहास क्या है।
क्रिसमस डे का इतिहास (Christmas Day History In Hindi)
क्रिसमस पर्व के इतिहास को लेकर कई इतिहास-कारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ इतिहासकारों अनुसार यह त्यौहार यीशु के जन्म के बाद मनाया जाना शुरू हुआ तो कुछ ऐसा मानते हैं कि इस पर्व को यीशु के जन्म के पहले से ही मनाया जाता आ रहा है। उनका ऐसा मानना है कि ये पर्व रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया का ही एक नया रूप है। ऐसा कहा जाता है कि सैंचुनेलिया रोमन देवता है। कहते हैं बाद में जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को ही क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे थे।
सबसे पहले यहां मनाया गया क्रिसमस!
कहा जाता है कि 336 ई.पूर्व में रोम के पहले ईसाई सम्राट के दौर में 25 दिसंबर के दिन सबसे पहले क्रिसमस मनाया गया, जिसके कुछ वर्षों बाद पोप जुलियस ने ऑफिशियली जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस 25 दिसंबर के दिन मनाने का ऐलान कर दिया।
25 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं क्रिसमस? (Why We Celebrate Christmas on 25 December In Hindi)
क्रसमस क्यों मनाया जाता है?
ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था। इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी।
इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुईं और गर्भावस्था के दौरान उनको बेथलहम में रहना पड़ा। कहा जाता है कि एक दिन जब रात ज्यादा हो गई, तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं दिखी। ऐसे में उन्होंने एक ऐसी जगह पर रुकना पड़ा जहां पर लोग पशुपालन किया करते थे। उसी के अगले दिन 25 दिसंबर को मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया।
यीशु मसीह के जन्म स्थल से कुछ दूरी पर कुछ चरवाहे भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि भगवान स्वयं देवदूत का रूप धारण कर वहां आए और उन्होंने चरवाहों से कहा कि इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है ये स्वयं भगवान ईसा हैं। देवदूत की बात पर यकीन करके चरवाहे उस बच्चे को देखने गए।
देखते ही देखते बच्चे को देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी। लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और ये कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया है। मान्यता ये भी है कि प्रभु यीशु मसीह ने ही ईसाई धर्म की स्थापना की थी। यही वजह है कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं क्रिसमस? (How To Celebrate Christmas)
क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगों का सबसे बड़ा त्योहार है इसलिए इसकी तैयारियां कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। इस दिन ईसा मसीह के जन्मोत्सव की खुशी में गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं और जगह-जगह प्रभु यीशु की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इस दिन लोग अपने घर में क्रिसमस ट्री सजाते हैं। तो वहीं इस दिन बच्चों को सेंटा क्लॉज़ का बेसब्री से इंतजार रहता है।
कैसे हुई क्रिसमस ट्री की शुरुआत?
हजारों वर्ष पहले उत्तरी यूरोप में क्रिसमस ट्री की शुरुआत हुई। उस वक्त Fir नाम के पेड़ को सजाकर यह त्योहार मनाया जाता था। कई लोग चेरी के पेड़ की टहनियों को भी क्रिसमस के दौरान सजाते थे। लेकिन जो लोग क्रिसमस ट्री खरीदने में असमर्थ होते थे, वो लकड़ी को पिरामिड की शक्ल देकर क्रिसमस मनाते थे। लेकिन वक्त के साथ क्रिसमस ट्री का चलन बढ़ता गया। अब हर व्यक्ति क्रिसमस ट्री लाता है और उसे चॉकलेट्स, खिलौनों, लाइट्स और तहफों से सजाता है
ऐसे शुरू हुआ सीक्रेट गिफ्ट का खेल
कहा जाता है कि चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा (अब तुर्की) में सेंट निकोलस नाम का शख्स रहता था, जो बेहद अमीर था। लेकिन उस शख्स के माता-पिता नहीं थे। इसलिए वो हमेशा गरीबों की मदद करता था, पर छुपके। मतलब, वो उन्हें सीक्रेट गिफ्ट देकर खुश करने की कोशिश करता था।
इसलिए लगाते हैं चिमनी में मोजे…
कहानी है कि एक गरीब व्यक्ति की तीन बेटियां थीं, जिनकी शादी के लिए उसके पास बिलकुल धन नहीं था। निकोलस को जब इस बात का पता चला, तो उसने उसकी मदद करने का फैसला किया, लेकिन छुपकर। निकोलस एक रात उस आदमी के घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचा और उसमें सोने से भरा बैग डाल दिया। शख्स ने मोजे सुखाने के लिए चिमनी में लगा रखे थे। अचानक सोने का बैग मोजे के पास गिरा। ऐसा तीन बार हुआ। आखिरी बार शख्स ने निकोलस को देख लिया। निकोलस ने उसे यह बात छुपाकर रखने को कही। इसके बाद जब भी किसी को कोई सीक्रेट गिफ्ट मिलता, तो लगता कि यह निकोलस ने दिया है।
जब पॉपुलर हो गई निकोलस की कहानी
जब निकोलस की कहानी लोगों के बीच पॉपुलर हो गई। तब से क्रिसमस पर बच्चों को तोहफे देने का प्रथा रही है। सबसे पहले ब्रिटेन के इंग्लैंड में निकोलस की कहानी को आधार बनाया और उन्हें फादर क्रिसमस व ओल्ड मैन क्रिसमस नाम दिया गया। इसके बाद पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन Secret Santa बनने का रिवाज बढ़ता गया।
लेखक-नवीन चंद्र सुयाल
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