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Guardians of Nature and Health: The Untold Stories of Preservation and Compassion in Uttarakhand-2024

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला 26/10/2024 Dehradun

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों को प्रकृति ने कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. जो इन हिमालयी राज्यों के
लिए आर्थिकी का एक बेहतर जरिया बन सकता है, लेकिन प्रकृति के इस अनमोल उपहार के संरक्षण की भी
जरूरत है. प्रकृति का संरक्षण सही मायने में पर्वतीय राज्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, प्रकृति
संरक्षण के मुख्य आधार जल, जंगल और जमीन ही हैं. ये सभी चीजें उत्तराखंड में मौजूद हैं. यही वजह है कि
वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भविष्य में लोगों को शुद्ध हवा और
पानी मिल सके, इसके लिए अभी से ही प्रकृति संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है.डॉ डॉक्टर और
मरीज का रिश्ता काफी सवेदनशील है। उनके अनुसार इस रिश्ते में मधुरता को बरकरार रखने में आपसी
सवाद और अपनेपन का होना जरूरी है।

उम्रदराज या वृद्ध लोगों को याद होगा कि अतीत में डॉक्टर के पास जब मरीज जाता था, तब वह पहले
उसके रोग की नहीं बल्कि उसके हालचाल के बारे में पूछता था। मरीज अगर पहली बार गया है, तो भी
डॉक्टर उससे यह पूछते थे कि आप क्या कर रहे हैं, कहा रहते हैं आदि। वहींआज स्थिति यह है कि तमाम
ऐसे डॉक्टर हैं, जिनके पास इतने ज्यादा मरीज आते हैं कि वे रोगी के हालचाल में अपना वक्त जाया नहीं
करना चाहते। मरीज से उनका सबसे पहला सवाल यही रहता है कि बताएं आपको क्या शिकायत है। मेरे
ख्याल से डॉक्टर को रोगी की स्वास्थ्य समस्या को सुनने से पहले उसके साथ चद मिनटों तक माधुर्यपूर्ण शैली
में अन्य बातें करनी चाहिए। जैसे आप क्या कर रहे हैं, कहा रहते हैं, आदि। इस तरह की बातों से मरीज
और डॉक्टर के मध्य रिश्ता मधुर बनाने में मदद मिलती है।

डॉक्टर और मरीज का रिश्ता काफी सवेदनशील है। उनके अनुसार इस रिश्ते में मधुरता को बरकरार रखने
में आपसी सवाद और अपनेपन का होना जरूरी है। उम्रदराज या वृद्ध लोगों को याद होगा कि अतीत में डॉक्टर
के पास जब मरीज जाता था, तब वह पहले उसके रोग की नहीं बल्कि उसके हालचाल के बारे में पूछता था।
मरीज अगर पहली बार गया है, तो भी डॉक्टर उससे यह पूछते थे कि आप क्या कर रहे हैं, कहा रहते हैं..
आदि। वहींआज स्थिति यह है कि तमाम ऐसे डॉक्टर हैं, जिनके पास इतने ज्यादा मरीज आते हैं किवे रोगी के
हालचाल में अपना वक्त जाया नहीं करना चाहते। मरीज से उनका सबसे पहला सवाल यही रहता है कि बताएं
आपको क्या शिकायत है। मेरे ख्याल से डॉक्टर को रोगी की स्वास्थ्य समस्या को सुननेसे पहले उसके साथ चद
मिनटों तक माधुर्यपूर्ण शैली में अन्य बातें करनी चाहिए। जैसे आप क्या कर रहे हैं, कहा रहते हैं, आदि। इस

तरह की बातों से मरीज और डॉक्टर के मध्य रिश्ता मधुर बनाने में मदद मिलती है।डॉक्टर और मरीज के बीच
का रिश्ता को यदि समझना हो तो दून अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती 15 वर्षीय अज्ञात किशोर मोगली को देख
लीजिए। 20 दिन पूर्व इस किशोर को कोरोनेशन अस्पताल से लेकर इमरजेंसी में लाकर छोड़ दिया गया। हाथ-पैरों
में गंभीर जख्म होने की वजह से डॉक्टरों ने दून अस्पताल के बर्न वार्ड में उसको भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया।
डॉक्टर-मरीज के इस रिश्ते ने आज दोस्ती का रूप ले लिया। डॉक्टर मोगली का वीआईपी मरीज की तरह
ख्याल रख रहे हैं।

डॉक्टरों की इस सेवा का नतीजा यह है कि आज यह किशोर 80 प्रतिशत स्वस्थ हो चुका
है।दरअसल, 27 सितंबर को दून अस्पताल की इमरजेंसी में कोरोनेशन से एक एंबुलेंस पहुंची थी, इसमें वहां
से इस किशोर को गंभीर हालत से रेफर किया गया था। एंबुलेंस का स्टाफ इसे छोड़कर चला गया था। इसके
साथ न कोई तीमारदार था और न इस किशोर का नाम-पता किसी को पता था।इसके बाद डॉक्टरों ने इसके
उपचार की जिम्मेदारी ली। बर्न वार्ड में इसे भेजा गया, गंभीर हालत के चलते उसे वहां भर्ती कर लिया
गया। प्लास्टिक सर्जन डॉ. शिवम डांग की टीम ने इसका उपचार किया। इसके साथ तीमारदार नहीं थे तो

पूरी टीम इसके लिए तीमारदार बन गई।किशोर को नहलाने, उसके कपड़े बदलने, शौच कराने सहित सारे
काम बर्न वार्ड की टीम ने खुशी-खुशी किए। किशोर का नाम पता नहीं होने पर डॉक्टरों ने इसका नामकरण
किया और मोगली नाम दिया।मोगली की हालत में सुधार हो चुका है, जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के
बाद डॉक्टर उसके रहने का इंतजाम भी करेंगे। बर्न वार्ड के एचओडी और वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. शिवम
डांग का कहना है कि किसी एनजीओ से संपर्क करके इस किशोर को वहा भेजा जाएगा, ताकि इसका आगे
का जीवन-यापन अच्छा हो सके।मोगली की हालत में सुधार हो चुका है, जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के
बाद डॉक्टर उसके रहने का इंतजाम भी करेंगे। बर्न वार्ड के एचओडी और वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. शिवम
डांग का कहना है

कि किसी एनजीओ से संपर्क करके इस किशोर को वहा भेजा जाएगा, ताकि इसका आगे
का जीवन-यापन अच्छा हो सके।मोगली की हालत में सुधार हो चुका है, जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के
बाद डॉक्टर उसके रहने का इंतजाम भी करेंगे। बर्न वार्ड के एचओडी और वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. शिवम
डांग का कहना है कि किसी एनजीओ से संपर्क करके इस किशोर को वहा भेजा जाएगा, ताकि इसका आगे
का जीवन-यापन अच्छा हो सके।कोरोनेशन से एक अज्ञात किशोर को एंबुलेंस के माध्यम से दून अस्पताल
लाया गया था, इसका कोई तीमारदार नहीं है। हालत गंभीर होने की वजह से इसे भर्ती किया गया था। बर्न
वार्ड की टीम ने मिलकर इस किशोर की सेवा करते हुए उपचार किया। अब यह स्वस्थ होने की तरफ है।
जल्द ही किसी एनजीओ से संपर्क करके इसे उनको सौंप दिया जाएगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने
एक सर्वे में बताया गया है

कि डॉक्टर्स काफी मेंटल प्रोब्लम से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में
82.7% डॉक्टर्स तनाव में हैं। इसकी कई वजह हैं जैसे- कई बार डॉक्टरों से लोग लड़ाई करने लगते हैं। उन
पर हमले कर दिए जाते हैं और आपराधिक मुकदमें भी दायर किए जाते हैं। ये सभी बातें डॉक्टर्स को उनके
पेशे में डराती हैं। जिसका इसर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे में नींद की कमी, तनाव, कई सामाजिक
चुनौतियां और रूढ़िवादिता की वजह से देश के डॉक्टर्स मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।सरकारी
डॉक्टर हों या प्राइवेट आज भी भारत में इनकी संख्या काफी कम है। भारत में 1 डॉक्टर के ऊपर 834
मरीज का दवाब है। अब आप खुद ही सोचिए कि डॉक्टर्स की लाइफ कितनी व्यस्त होगी। कई बार त्योहार
हो या कोई खास दिन डॉक्टर्स को ड्यूटी पर आना ही पड़ता है।

अक्सर डॉक्टर्स की शिकायत रहती है कि वो अपनी फैमिली को टाइम नहीं दे पाते हैं।डॉक्टर्स का काम दिन-रात
यानि 24 घंटे का होता है। ऐसे में खुद को फिट रखना भी उनके लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। कई बार डे शिफ्ट
और नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है। ओवर टाइम भी करना पड़ता है। ऐसे में न खाने के लिए वक्त मिलता
और न ही सोने के लिए। इसलाइफस्टाइल में लंबे समय तक खुद को फिट रखना बड़ी चुनौती बन जाता है। डॉक्टर्स
के ऊपर खुद को फिट रखने की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है।लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।

Picture :–ETV


डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला (लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

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