Freesabmilega.com Samachar Manila Devi Mandir ,Almora

Manila Devi Mandir ,Almora

Manila Devi Mandir ,Almora post thumbnail image

अटूट आस्था का प्रतीक मां मानिला देवी का मंदिर

हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड पवित्र गंगा, यमुना, सरस्वती समेत अनेक नदियों का उद्गम स्थल है. उत्तराखंड भगवान शिव का ससुराल है और गणपति भगवान का ननिहाल है. उत्तराखंड में बदरीनाथ-केदारनाथ, गंगोत्री-यमुनोत्री धाम मंदिर हैं. उत्तराखंड में ही पंच बदरी, पंच केदार और पंच प्रयाग भी स्थित हैं. इसके अलावा भी उत्तराखंड में कई शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर हैं, जिनकी कई अलौकिक कथाएं हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड को देवों की भूमि अर्थात देवभूमि भी कहा जाता है. इन देवी देवताओं का अल्मोड़ा में एक संग्रहालय बनाया गया है. खास बात है कि संग्रहालय पानी के टैंक के ऊपर बना है. अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में शक्तिपीठ मां मानिला देवी मंदिर स्थित है. मंदिर के पास ही एक हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा का देवी-देवताओं का संग्रहालय बनाया गया है. जिसमें उत्तराखंड में 15 लोक देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. साथ ही उनके बारे में जानकारी दी गई है.

खास बात है कि ये संग्रहालय 2 लाख लीटर वाले पानी के टैंक ऊपर बना है.शक्तिपीठ मानिला देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष का कहना है कि जल सबसे पवित्र माना जाता है. जल के ऊपर ही अगर उत्तराखंड के लोक देवी देवताओं की स्थापना की जाए तो यह अपने आप में अच्छा संयोग है. इस संग्रहालय को बनाने का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति, साहित्य, पुराने रीति रिवाज, मान्यताओं को यथा स्वरूप प्रदान करना है. उनको स्थापित किए जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हमारे पूर्वजों, लोकदेवताओं को जान सकें. सृष्टि की शुरुआत से अनंतकाल तक का काल निर्धारण करने वाले महाकाल का पवित्र धाम है देवभूमि। इस निर्धारण के लिए जिस शक्ति की नितांत जरूरत होती है, उस आदिशक्ति का वास भी इसी भूमि पर है। उत्तराखंड का तकरीबन हर शिखर देवी का धाम है। कई आसुरी शक्तियों का मर्दन आदिशक्ति ने यहीं किया था। शिव की तरह शक्ति भी

इस देवभूमि में कई रूपों और स्थानों पर कहीं समान तो कहीं अलग-अलग रूप में पूजी जाती रही हैं। ऐसे ही दो अलग-अलग रूपों में देवी के पूजन का साक्षी है वीरभूमि सल्ट का दिव्य मानिला क्षेत्र।तल्ला मानिला में देवी अपने चंडी स्वरूप तो मल्ला मानिला में भगवती रूप में पूजी जाती हैं। इस बार चलते हैं कत्यूरकाल के मानुरदेश की नैसर्गिक सौंदर्य से लबरेज उस हरीभरी पहाड़ी की ओर जो अपनी खगोलीय तरंगों, सकारात्मक ऊर्जा और अध्यात्म के केंद्र के तौर पर भी कुमाऊं में विख्यात है। आस्था, श्रद्धा, आध्यात्मिकता की अनुभूति यहां होती है तो इतिहास भी दमकता है। शक्ति की ऐसी भूमि जिसकी सीमा किसी दौर में गढ़वाल तक थी और चंद शासनकाल में इस दिव्य धरा से देवलिपि संस्कृत का प्रचार प्रसार भी किया गया। देवभूमि में देवी की जागर आज भी मानुरदेश की मानिला, भौन की भगवती व हाट की कालिका स्तुति के साथ होती है।

अतीत में मानिला का सैंणमानुर कत्यूर राजवंश की राजधानी रही। इस राजधानी की सीमा का विस्तार कुमाऊं के बारामंडल, पालीपछाऊं परगना का संपूर्ण सल्ट, चौकोट, सराईखेत, ककलासौं समेत लैंसडौन, धूमाकोट को समेटे पछुवादून (गढ़वाल) तक माना जाता था। इस राजधानी के अंतर्गत आने वाली संपूर्ण सीमा को ही मानुरदेश कहा जाता था। कत्यूर शासनकाल के निरंतर अध्ययन में जुटे परिपूर्ण वात्सायन मनराल कहते हैं जब चंद राजवंश ने कत्यूरी साम्राज्य को अपने कब्जे में लेने के लिए युद्ध छेड़ दिया तो व्यापक जनहानि होने लगी। इस पर कत्यूरी शासक राजा वीरमदेव ने सत्ता पाने को आतुर चंद शासकों को नरसंहार रोकने का संदेश भेज अपनी राजधानी लखनपुर (चौखुटिया) से स्थानांतरित कर सैंणमानुर में स्थापित की। रातोंरात अभेद्य किला तैयार कर तल्ला मानिला में अपनी कुलदेवी की प्राणप्रतिष्ठा की। लोकमत के अनुसार मानुरदेश की सुरक्षा के लिए मल्ला मानिला में भी मां का मंदिर बनवाया जो कुलदेवी चंडी का ही अंश माना गया। चंद शासनकाल में शुरू संस्कृत की पाठशाला ब्रितानी दौर में बंद हो गई। यहां प्राचीन कुटिया में ध्यान लगाने पहुंचे श्री श्री 1008 चैतन्यानंद सरस्वती महाराज ने 1989 में संस्कृत पीठाश्रम की पुनःस्थापना की। वह मल्ला मानिला के इसी स्थल पर कई दिन ध्यानमग्न रहे।

मल्ला मानिला में शक्ति रूपी हाथ वर्तमान मूर्ति के ठीक आगे रखा गया है। हालांकि आंचल से उसे ढका गया है।मात्र अंगुल ही नजर आती है। स्थानीय लोग हों या कत्यूरीमनराल वंशज, तल्ला मानिला स्थित कुलदेवी की मूर्ति को खंडित नहीं मानते। उनका मानना है कि मां की शक्ति दो जगह बंट गई। प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसे जीवंत ही कहा जाता है। तल्ला मानिला में कत्यूरी शासकों की कुलदेवी विराजमान थीं तो कालांतर में मल्ला मानिला वैदिक परंपरा के प्रकांड विद्वानों तथा धर्मशास्त्रियों की कर्म स्थली बना। लोकमत का हवाला दे सैंणमानुर निवासी परिपूर्ण वात्सायन मनराल कहते हैं तल्ला मानिला स्थित कुलदेवी की पुकार मल्ला मानिला व समीपवर्ती क्षेत्रों को जागृत करती रहती थी। आध्यात्मिक तरंगों व नैसर्गिक सौंदर्यता से भरपूर यह क्षेत्र बाद में चंद राजाओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण रहा। मान्यता है कि मल्ला मानिला में देवी के भगवती रूप की पूजा का श्रीगणेश हुआ। यहां स्थित प्राचीन कुटिया में मौजूद अभिलेख के अनुसार मंदिर की स्थापना संवत 1346 (1289 ई.) में हुई। इतिहाकारों के अनुसार चंद राजा त्रिलोक चंद (1296-1303) ने कत्यूरी राजाओं को पराजित कर बारामंडल, पालीपछाऊं तथा छखाता पर अधिकार कर लिया था। मल्ला मानिला का पूरा वैभव चंद राजवंश को मिला तो इस राजवंश ने कत्यूरी शासकों की थाती को अपने शासन में धरोहर की भांति सहेज कर रखा। पिछले दो दशक से इस मंदिर परिसर में श्रेत्र के निवासियों और दूसरे प्रदेशों के माँ के भक्तों के पारस्परिक सहयोग या व्यक्तिगत महादान से विभिन्न हिंदू देवी देवताओं के छोटे बड़े 8-10 मंदिर सहित संत मुनियों और भक्तों हेतु  7-8 विश्रामकक्ष और करीब 1000 भक्तों के बैठने की व्यवस्था हेतु एक भव्य सत्संग हाल बन गये है । जिससे यह स्थल धीरे धीरे उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बनने जा रहा है । इसके साथ साथ माँ नौ  दुर्गा का नव निर्मित भव्य मंदिर जो करीब 60 फुट ऊँचा और 40 फुट की गोल परिधि में है और पूरे उत्तराखंड में अपने आप में एक अद्भुत मंदिर रचना है से इस स्थल की प्रसिद्ध में चार चाँद लग गये है ।

नौ दुर्गा का ये अद्भुत मंदिर  पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है । वैसे अभी इस मंदिर के बाहरी हिस्से में सौंदरीकरण, मंदिर के धरातल पर पानी का संगीतमय फव्वारा, मंदिर परिसर की चार-दिवारी, पुरे मंदिर परिसर का सौंदरीकरण और मंदिर स्थल के सड़क मार्ग पर मुख्य प्रवेश गेट के साथ  पैदल यात्रियों हेतु अलग से छोटे रास्ते का गेट आदि सहित कई जरूरी  काम होने है जो इसके उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बनाने के श्रेत्र वासियों के संकल्प हेतु बहुत ही आवश्यक है ।  इसके अलावा भक्तों के विश्राम हेतु वर्तमान विश्रामकक्ष/ धर्मशाला को और अधिक कक्षों  और सुविधाओं वाला और इसके स्थल पर धार्मिक पर्यटकों हेतु जरूरी मूलभूत सुविधायें उपलब्ध करानी भी जरूरी है । माँ मानिला देवी एक चमत्कारी आदि शक्ति माँ है जो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है और इसी चमत्कार की वजह से आपकी ख्याति और जय-जयाकार दिनों दिन सब तरफ फैल रही है।  श्रेत्रीय लोगों के अलावा दूर प्रदेशों से लोग बड़ी संख्या में  अपने वांछनीय मनोकामनों हेतु माता के दरबार में दर्शन करते हैं । पिछले लगभग 16-17 साल से इस पवित्र स्थल पर हर वर्ष   अगस्त माह में श्रेत्रीय निवासियों के पारस्परिक सहयोग से श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन होता है ।

इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व भी है क्योंकि श्रेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी का जश्न ए मेला माँ मानिला देवी  के इसी पावन स्थल पर बड़े धूमधाम और हर्षोउल्लास से मनाया था और तभी से हर वर्ष 15 अगस्त का आजादी का ऐतिहासिक मेला लगता है । नई पीढ़ी अब अपने लोकदेवों की उत्पत्ति, इतिहास, वीरगाथाएं और उनके अमुक लोक से संबंध आदि रहस्यों से रू-ब-रू हो सकेगी। खास बात कि उन्हें लोक में रचे-बसे इन स्थानीय देवों का ब्योरा एक ही छत के नीचे मिलेगा। पुरातत्वविद् पद्मश्री डा. यशोधर मठपाल के शोध के बाद सल्ट ब्लॉक स्थित ऐतिहासिक मां मानिला देवी मंदिर शीक्तिपीठ में लोकदेवों के अनूठे संग्रहालय ने मूर्तरूप ले लिया है। यह उत्तराखंड का पहला फोकगॉड म्यूजियम है, जो शोधार्थियों की अध्ययन स्थली भी बनेगा। देवभूमि में लोकदेवों का बड़ा महत्व है। हर शुभ कार्य में इन्हें मुख्य देवी देवताओं की ही तरह पूजा जाता है। हालांकि आधुनिक चकाचौंध में नई पीढ़ी लोक में रचे-बसे देवी-देवताओं की ऐतिहासिकता व जीवन में महत्व से अनजान है। नई पीढ़ी लोक संस्कृति, परंपरा व लोकदेवों का ज्ञान हासिल कर सके, मां मानिला मंदिर प्रबंधन कमेटी के प्रयासों से शक्तिपीठ में संग्रहालय तैयार किया गया है। विशिष्ट पत्थरों पर उकेरी गई लोकदेवों की प्रतिमाएं स्थापित भी कर ली गई हैं। देवभूमि के इस पहले संग्रहालय के निर्माण में पुरातत्वविद् पद्मश्री डा. यशोधर मठपाल का बड़ी भूमिका रही। उन्हीं के मार्गदर्शन में म्यूजियम बन सका है। लोकदेवों की शक्तियां असीम हैं। गौरवगाथा जागरों के जरिये गाई जाती हैं। संग्रहालय का मकसद नई पीढ़ी को लोकदेवों का ज्ञान कराना है।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला (दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

Flipkart Amazon सेल 27 सितंबर से शुरू, पैसों का कर लें इंतजाम, सस्ते Smartphone, TV की मिलेंगी शानदार डीलFlipkart Amazon सेल 27 सितंबर से शुरू, पैसों का कर लें इंतजाम, सस्ते Smartphone, TV की मिलेंगी शानदार डील

lipkart big billion days sale 2024 : फ्लिपकार्ट की फेस्टिवल सेल का इंतजार खत्म हो चुका है। यह सेल साल में एक बार आती है, जिसमें सबसे कम कीमत में

Best Movies of Bollwood in September 2024.Best Movies of Bollwood in September 2024.

सितंबर 2024 में रिलीज होने वाली बॉलीवुड फिल्में क्या आपको बॉलीवुड फ़िल्में देखना पसंद है? अगर हाँ, तो भारत भर के सिनेमाघरों में आने वाली नई रिलीज़ के लिए तैयार

Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते!Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते!

Ratan Tata: उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि भारतीय उद्योग