अमेरिका ने क्यों लौटाई भारत की 297 प्राचीन धरोहर? पीएम मोदी ने वजह के साथ असर भी बता दिया
संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को 297 पुरावशेष लौटाए
21 सितंबर, 2024
घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने और अधिक सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए, अमेरिकी विदेश विभाग के शैक्षिक और सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने जुलाई 2024 में एक सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, ताकि सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधान मंत्री मोदी द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जा सके, जैसा कि जून 2023 में उनकी बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में परिलक्षित होता है।
2. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के अवसर पर, अमेरिकी पक्ष ने भारत से चुराई गई या तस्करी की गई 297 प्राचीन वस्तुओं की वापसी में सहायता की। इन्हें जल्द ही भारत को वापस कर दिया जाएगा। विलमिंगटन, डेलावेयर में अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बिडेन को प्रतीकात्मक रूप से कुछ चुनिंदा कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं। प्रधानमंत्री ने इन कलाकृतियों की वापसी में उनके समर्थन के लिए राष्ट्रपति बिडेन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएँ न केवल भारत की ऐतिहासिक भौतिक संस्कृति का हिस्सा थीं, बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक भाग भी थीं।
3. ये पुरावशेष लगभग 4000 वर्ष पुराने हैं, जो 2000 ईसा पूर्व से 1900 ईसवी तक फैले हैं और इनका इतिहास भारत के विभिन्न भागों से है। अधिकांश पुरावशेष पूर्वी भारत की टेराकोटा कलाकृतियाँ हैं, जबकि अन्य पत्थर, धातु, लकड़ी और हाथीदांत से बने हैं और देश के विभिन्न भागों से संबंधित हैं। सौंपी गई कुछ उल्लेखनीय पुरावशेष इस प्रकार हैं:
* मध्य भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर की अप्सरा जो 10-11वीं शताब्दी ई. की है;
* मध्य भारत से प्राप्त कांस्य में जैन तीर्थंकर जो 15-16वीं शताब्दी ई. की है;
* पूर्वी भारत से प्राप्त टेराकोटा फूलदान जो 3-4वीं शताब्दी ई. की है;
* दक्षिण भारत से प्राप्त पत्थर की मूर्ति जो पहली शताब्दी ई.पू.-1वीं शताब्दी ई. की है;
* दक्षिण भारत से प्राप्त कांस्य में भगवान गणेश जो 17-18वीं शताब्दी ई. की है;
* उत्तर भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर में भगवान बुद्ध की खड़ी मूर्ति जो 15-16वीं शताब्दी ई. की है;
* पूर्वी भारत से प्राप्त कांस्य में भगवान विष्णु जो 17-18वीं शताब्दी ई. की है;
* उत्तर भारत से प्राप्त तांबे की मानवरूपी आकृति जो 2000-1800 ई.पू. की है;
* दक्षिण भारत से प्राप्त कांस्य में भगवान कृष्ण जो 17-18वीं शताब्दी ई. की है;
* दक्षिण भारत से प्राप्त ग्रेनाइट में भगवान कार्तिकेय जो 13-14वीं शताब्दी ई. की है।
4. हाल के दिनों में, सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी भारत-अमेरिका सांस्कृतिक समझ और आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गई है। 2016 से, अमेरिकी सरकार ने बड़ी संख्या में तस्करी या चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं की वापसी की सुविधा प्रदान की है। जून 2016 में पीएम की यूएसए यात्रा के दौरान 10 पुरावशेष लौटाए गए; सितंबर 2021 में उनकी यात्रा के दौरान 157 पुरावशेष और पिछले साल जून में उनकी यात्रा के दौरान 105 पुरावशेष लौटाए गए। 2016 से अमेरिका से भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की कुल संख्या 578 है। यह किसी भी देश द्वारा भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की अधिकतम संख्या है।
विलमिंगटन, डेलावेयर
नई दिल्ली: अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 297 प्राचीन वस्तुएं (कलाकृतियां) भारत को सौंपी है। देश की संस्कृति के बारे में जानकारी देने वाली इन प्राचीन वस्तुओं को तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था। एक बयान में बताया गया है कि 2014 से अब तक पिछले दस वर्षों में भारत को कुल 640 प्राचीन वस्तुएं वापस मिली हैं, जिसमें से अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटाई हैं। यह किसी देश द्वारा भारत को लौटायी गई सबसे अधिक सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं।
पीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए इन 297 अमूल्य कलाकृतियों को लौटाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का धन्यवाद किया है। पीएम ने कुछ तस्वीरें भी पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराते और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए। मैं भारत को 297 अमूल्य कलाकृतियां लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी सरकार का अत्यधिक आभारी हूं।
राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद
अधिकारियों का कहना है कि पीएम ने इन प्राचीन वस्तुओं को लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। इस उपलब्धि को भारत द्वारा अपनी सांस्कृतिक विरासत को कायम रखने के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के अलावा दूसरे कई देशों ने भी भारत को प्राचीन वस्तुएं वापस की है, जिसमें 16 कलाकृतियां ब्रिटेन से, 40 ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों से वापस की गई हैं। वहीं 2004-2013 के बीच भारत को केवल एक कलाकृति वापस की गई थी।
10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की कलाकृतियां
भारत को लौटाई गई कुछ विशेष कलाकृतियों में 10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मध्य भारत की बलुआ पत्थर से निर्मित एक ‘अप्सरा’, तीसरी-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का पूर्वी भारत का टेराकोटा का एक फूलदान तथा पहली शताब्दी ईसा पूर्व की दक्षिण भारत की पत्थर की एक मूर्ति शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि पीएम मोदी की 2021 में अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने 157 कलाकृतियां लौटाई थी, जिसमें 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व की नटराज की कांसे की प्रतिमा शामिल थी। 2023 में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के कुछ दिन बाद भारत को 105 कलाकृतियां लौटाई गई थी।
प्राचीन वस्तुएं तस्करी के जरिये गई थीं बाहर
सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी एक पुराना मुद्दा है जिसने पूरे इतिहास में कई संस्कृतियों और देशों को प्रभावित किया है। भारत इस मुद्दे से विशेष रूप से प्रभावित हुआ है और बड़ी संख्या में प्राचीन वस्तुएं तस्करी कर देश से बाहर ले जाई गई हैं। जुलाई 2024 में दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति के अवसर पर भारत और अमेरिका ने भारत से अमेरिका में कलाकृतियों की तस्करी को रोकने और उस पर अंकुश लगाने के लिए पहले ‘सांस्कृतिक संपत्ति समझौते’ पर हस्ताक्षर किए थे।
महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी
अधिकारियों का कहना है कि ऐसे में यह शानदार उपलब्धि भारत के चुराए गए खजाने को प्राप्त करने और भावी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के संकल्प को दर्शाती है। वैश्विक नेताओं के साथ पीएम मोदी के व्यक्तिगत संबंधों की वजह से ये काफी हद तक मुमकिन हुआ है। ये भारत के लिए हर्ष का विषय है कि उसकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी प्रतिष्ठित मूर्तियों और महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी हो रही है।