उत्तराखण्ड की संस्कृति व जीवनशैली
Uttarakhand Culture & Uttarakhand Tradition
यहाँ के लोग प्रत्येक उत्सव व कृषि काल को बहुत उत्साह से बनाते है, जो यहाँ के लोगो को अन्य राज्यों से अलग बनाता है।
यहाँ उत्सवों में लोग नाच–गा कर अपनी खुशी व सदभाव का इजहार करते है।
कुमाऊॅ क्षेत्र का मुख्य नृत्य छलेरी है जो यहाँ प्रत्येक खुशी के मौके व शादि–ब्याह में किया जाता है। इसमें पुरूष, महिलाओं की पोशाक पहनकर नृत्य करते है।
यह नृत्य कुमाऊँ क्षेत्र की संस्कृति को प्रदर्षित करता है। यहाँ के त्यौहार, मेले, रीती–रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान, नृत्य, गाने उत्तराखण्ड को बाकी की दुनिया की संस्कृति से अलग करते है। यहाँ के प्रसिद्व त्यौहारो में मकर संक्रान्ति, बसन्त पंचमी, हरेला, फूलदेई, वट सावित्री, घी संक्रान्ति, गंगा दशहरा, धुधुती, भिटौली व अन्य त्यौहार बडी धूमधाम से बनाया जाता है।
भिटौले का त्यौहार भाई व बहन के प्रेम के तौर पर बनाया जाता है, इसमें भाई अपनी बहन को उपहार आदि भेंट करता है।
यह त्यौहार चैत्र के महीने में मनाया जाता है। उसी प्रकार सावन आने पर हरेला का त्यौहार मनाया जाता है जोकि हरियाली का त्यौहार कहा जाता है।
कुमाऊँ क्षेत्र में ऐपड का भी बहुत महत्व है जो इस क्षेत्र के प्रत्येक घरों की दहलीज के बाहर देखने को मिल जायेगा।
ऐपड कई आकृतियों में बनाये जाते है जिसमें हसन चौकी, जनेउ चौकी, आचार्या चौकी, धूली अर्घ्य चौकी, दुर्गा चौकी, चामुंडा हस्ति चौकी आदि मुख्य है।
यह दिपावली के अवसर पर बनाया जाता है। गढवाल को वर्णन करना बहुत मुश्किल है जो विश्वपटल पर अपनी अलग पहचान रखता है।
यहाँ का प्रसिद्व व्यंजन फाणा (Uttarakhand traditional food), प्रसिद्व लोकनृत्य लंगवीर और लोकसंगीत जोडस (Uttarakhand traditional Song & Dance)
(उत्तराखंड के प्रसिद्ध नृत्यों को और अधिक जानने के लिए हमारा पोस्ट उत्तराखंड के प्रसिद्ध नृत्य पढ़े) ।
यहाँ की महिलाओ की प्रसिद्व वेशभूषा लहंगा(Uttarakhand traditional dress) है।
गढवाल की सीमा हिमाचल प्रदेश व जौनसार से मिले होने के कारण यहाँ के रीती रिवाजों में वहाँ की झलक भी मिलती है।
यहाँ रोजगार की कमी के लोग अधिकतर लोग हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, देहरादून व अन्य राज्यों में अपनी जीविका चलाने हेतु जा चुके है।
यहाँ के चार धामों से होनी वाली कमाई व कृषि आदि से ही ये लोग अपनी जीविका चलाते है।
मौसम अधिक सर्द होने के कारण यहा के लोग माँस–मछली आदि भी खूब पसन्द करते है जो इनके रोज के भोजन में शामिल रहता है।
उत्तराखण्ड का प्रमुख नृत्य व संगीत
Uttarakhand traditional Songs & Dances
देश के प्रत्येक राज्य की अपनी कुछ खास परम्परायें होती है जिन्हे वो अन्य राज्यों से अलग बनाते है।
देश के अलग–अलग भागों में शादी व अन्य अवसरों पर अलग–अलग प्रकार का नृत्य व संगीत होता है
उसी प्रकार उत्तराखण्ड का भी अपना नृत्य व संगीत है जो उत्तराखण्ड को दूसरे राज्यो से अलग बनाता है।
यहाँ शादी, पूजा, मेलों मे अलग अलग प्रकार के नृत्य किये जाते है जो कि बराडा नटी,
लंगवीर नृत्य, पांडव नृत्य, बाजुबंद नृत्य, रमोला नृत्य, छपेली नृत्य, छांछरी नृत्य, जोहरा नृत्य, छोलिया नृत्य, जैंठा व जडडा मुख्य नृत्य है।
उत्तराखण्ड के प्रमुख परिधान
Uttarakhand Traditional Dress
देश के प्रत्येक राज्य की अपनी कुछ खास परम्परायें होती है जिन्हे वो अन्य राज्यों से अलग बनाते है।
देश के अलग–अलग भागों मे शादी व अन्य उत्सवों में अलग–अलग परिधान व वस्त्र पहने जाते है,
उसी प्रकार उत्तराखण्ड के भी अपना पौराणिक वस्त्र है जो उत्तराखण्ड को दूसरे राज्यों से अलग बनाते है।
इन वस्त्रों में सें सबसे प्रमुख है हंसुली, चरेऊ, चांदी की पायल, चांदी का गले का हार, धागुला,
बिछुए, गुलबंद, पिछौरा आदि प्रमुख है जो यहाँ शादी, मेलो व त्यौहारो के दौरान पहना जाता है।
उत्तराखण्ड का मुख्य व्यवसाय
Uttarakhand traditional Business
यहाँ के पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में काफी अन्तर पाया जाता है, मैदानी क्षेत्रों में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, हल्द्वानी,
उधमसिंहनगर जैसे शहर आते है जो काफी विकसित है, यहाँ बडे–बडे अस्पताल, स्कूल, मॉल, होटल व यातायात के साधन होते है, वही ग्रामीण ईलाकों में इनका अभाव पाया जाता है।
यहाँ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवनोपार्जन का मुख्य साधन मुख्यतः कृषि, दुग्घ उद्योग, भांग की खेती, पशुपालन,
व हस्तकला के निर्माण से बनी वस्तुयें होती है, जिन्हे यहा के लोग खुले बाजार में बेचकर अपना व अपने परिवार का जीवनोपार्जन करते है
पर्यटन क्षेत्र होने के कारण यहाँ बडी संख्या में होटलों का भी कारोबार भी होता है। एक ऐसा क्षेत्र है जिसके द्वारा भी यहाँ के लोग बडी संख्या में जीवनोपार्जन करते है।
यहाँ लोगो द्वारा बडी संख्या में वाटर स्पार्टस, ट्रैकिंग, होमस्टे, रिजार्ट व साहसिक खेलों का कार्य कर अपनी आजीविका को बढाया है।
यहाँ के लोग मुख्य रूप से दालों, सोयाबीन, मोटा अनाज, गन्ना, तिलहन, आडू, प्लम का व्यापार किया करते है।
यहाँ खनिज पदार्थो में चुना पत्थर, मारबल, कॉपर, जिप्सम, फॉस्फेट, डोलोमाईट आदि भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
कुमाऊँ क्षेत्र की मुख्य मंडी हल्द्वानी में है, जबकि गढवाल क्षेत्र की मुख्य मंडी कोटद्वार में है।
इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड शासन द्वारा भी यहाँ के निवासियों को समय पर कृषि व अन्य रोजगारपरक चीजों की जानकारी दी जाती है,
जिसे अपनाकर यहाँ के व्यक्ति अपना जीवनोपार्जन कर सके।
उत्तराखंड का प्रमुख भोजन
Famous food of Uttarakhand
उत्तराखंड अपने मंदिरो, तालों, ग्लेशियर, पर्वतो के अलावा अपने सुपाच्य भोजन के लिए भी प्रसिद्द है।
यहाँ पर गढ़वाल व कुमाऊँ मे अलग अलग किस्म का स्वास्थ्य वर्द्धक भोजन मिलता है जिसे पर्यटक लोग आजीवन याद रखते है
यहाँ भोजन मात्रा पेट भरने के अलावा स्वास्थ्य के लिए भी फायेदमंद होता है।
यहाँ के भोजन मे तेंचुआनि, चैंसू, फाना, काफूली व कई अन्य प्रकार का भोजन उपलब्ध होता है।
यहाँ के भोजन मे स्वाद व सुगंध ही अलग होती है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। यहाँ का भांग की चटनी,
आलू के गुटके, डुबुक, भट्ट की चुर्कानी, अरसा, सिंगोरी बहुत ही स्वादिष्ट होती है।
कुमाऊँ के प्रसिद्ध भोजन
Famous Food in Kumaon Region
कुमाऊँ के प्रसिद्ध भोजन मे डुबके, काले भट्ट की भट्टी, आलू के गुटके, भांग की चटनी, दाल बड़े, खीरे का रायता, आलू टमाटर का झोल, गहत का पराठा, झंगोरा की खीर, सिंगोरी, अरसा, गुलगुला, मंडुआ की रोटी, उरद दाल के पकोड़े अदि मुख्य है।
गढ़वाल के प्रसिद्ध भोजन
Famous Food in Garhwal Region
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Pankaj Pant Ji